उत्तराखण्ड

सीएम पुष्कर धामी बोले, आने वाले समय में क्वालिटी एवं रोजगारपरक शिक्षा जरूरी, प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अभी से करनी होगी तैयारी

  • मुख्यमंत्री ने नैक प्रत्यायन कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया शुभारंभ

  • ‘‘भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद‘‘ के साथ उद्यमिता संवर्धन के लिए एमओयू किया साइन

  • क्वालिटी फैक्ट रिपोर्ट’, ’अनुशंसा रिपोर्ट’, एवं ’इनोवेशन इन हायर एजुकेशन पुस्तक’ का विमोचन

    देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आने वाले समय में गुणवत्ता एवं रोजगारपरक शिक्षा जरूरी है। इसके लिये प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अभी से तैयारी करनी होगी।मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार को डीआईटी विश्वविद्यालय, देहरादून में आयोजित उच्च शिक्षा चिंतन शिविर के तहत राज्य स्तरीय (नैक) प्रत्यायन कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने उच्च शिक्षा संस्थानों पर आधारित ’उत्तराखंड राज्य के नैक प्रत्यायन की क्वालिटी फैक्ट रिपोर्ट’, ’अनुशंसा रिपोर्ट’, एवं ’इनोवेशन इन हायर एजुकेशन पुस्तक’ का विमोचन किया।मुख्यमंत्री धामी की उपस्थिति में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से ’उत्तराखंड राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों के आधुनिकरण, उद्यमिता और कौशल विकास के क्षेत्र में देश के प्रतिष्ठित संस्थान ‘‘भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद‘‘ के साथ उद्यमिता संवर्धन के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। साथ ही छात्रों को वर्चुअल लैब की सुविधा प्रदान करने के लिए अमृता विश्वविद्यापीठ केरल तथा कम्प्यूटर दक्षता और आईटी विशेषज्ञता के लिए एडूनेट आईबीएम के साथ भी एमओयू किया गया। मुख्यमंत्री धामी ने दो दिवसीय उच्च शिक्षा चिंतन शिविर में प्रतिभाग कर रहे शिक्षा जगत से जुड़े हुए लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि इस चिंतन शिविर के मंथन से अवश्य ही ज्ञानरूपी अमृत निकलेगा, जो हमारे प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार करने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा देवभूमि ’उत्तराखंड सदियों से अपने ज्ञान के प्रकाश से सभी विश्व को आलोकित करती रही है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में नये भारत की नींव रखी जा रही है। ऐसी नींव जिसमें नया भारत आत्मनिर्भर बन रहा है, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कई नए कार्य किए जा रहे, ऐसे कार्य जिसमें प्राचीन शिक्षा पद्धति और आधुनिक शिक्षा पद्धति के समिश्रण से बनी नई शिक्षा नीति का अनुसरण किया जा रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश की आने वाली पीढ़ी हमारे देश के वास्तविक इतिहास व महान संस्कृति से परिचित हो सकेगी। जहां एक ओर मैकाले की शिक्षा व्यवस्था पर आधारित पुरानी शिक्षा पद्धति युवाओं को सिर्फ नौकरी दिलाने का उद्देश्य रखती थी, वहीं नई शिक्षा नीति के माध्यम से युवा स्वयं नौकरियां देने वाले बन सकेंगे। इसके माध्यम से युवा इन्टरप्रेन्योर बन सकेगा, स्टार्टअप विकसित कर सकेगा। राज्य सरकार ने नो पेंडेंसी की नीति को अपनाते हुए प्रभावी ढंग से उत्तराखण्ड में नई शिक्षा नीति को लागू करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड राज्य में सीमित संसाधन होने के बाद भी ऐसा पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को समग्रता से लागू करने का कार्य किया है।चिंतन शिविर में चांसलर डीआईटी यूनिवर्सिटी एन. रविशंकर, सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगौली, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ.जगदीश प्रसाद, डीआईटी विवि के चेयरमैन अनुज अग्रवाल, रूसा सलाहकार प्रो. एमएसएम रावत, प्रो. केडी पुरोहित, अपर सचिव सचिव प्रशांत आर्य, एमएम सेमवाल, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के प्रो. श्रीकांत स्वामी, डॉ. निलेश पाण्डेय, डॉ. बी पोंमुदिराज, डॉ. विष्णुमहेश, ईडीआईआई के पॉलिसी इंचार्ज डॉ. अमित द्विवेदी, समस्त निजी व राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, चेयरमैन, कुलसचिव, निदेशक व समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, नोडल नैक एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तराखण्ड के साथ साथ पड़ौसी राज्यों के लिए भी बड़ा तोहफा साबित नैक का क्षेत्रीय केन्द्र
देहरादून। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के नैक प्रत्यायन की क्वालिटी फैक्ट एवं अनुशंसा रिपोर्ट उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के कार्य की रूपरेखा निश्चित करने में सहायक सिद्ध होगी। राज्य में आवश्यक संसाधनों को सुलभ कराते हुए सरकार दूरस्थ क्षेत्रें में उच्च शिक्षा को पहुंचाने का प्रयास कर रही है। दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा पहुँचाने के हमारी सरकार के प्रयास में नैक जैसी प्रतिष्ठित संस्था का पूरा सहयोग मिल रहा है। राज्य की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए नैक का क्षेत्रीय केन्द्र राज्य के साथ-साथ अन्य निकटवर्ती राज्यों के लिए भी बहुत बड़ा उपहार सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप संस्थाओं का मूल्यांकन और प्रत्यायन अनिवार्य है और निश्चित रूप से नैक के विशेषज्ञों के परामर्श और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे शिक्षकों और अधिकारियों के सहयोग से प्रदेश में संस्थाओं की गुणवत्ता सुधारने में भी हमें सहायता मिलेगी।

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