दून में हुए पथराव मामलें में बॉबी पंवार समेत सभी युवाओं को मिली जमानत, 13 फरवरी को प्रदर्शन के दौरान हुए पथराव में गए थे जेल
देहरादून। भर्ती परीक्षाओं में लगातार पेपर लीक होने को लेकर गत 13 फरवरी को प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार संघ पर हुए लाठीचार्ज व विरोध में युवाओं की ओर से हुए पथराव को लेकर जेल में बंद बाॅबी पंवार व अन्य आरोपियों को बुधवार को जमानत मिली गई है। हालांकि सरकारी अधिवक्ता की ओर से जमानत का विरोध किया गया, लेकिन सीजेएम लक्ष्मण सिंह कोर्ट से सभी छह आरोपियों को जमानत मिल गई है।
पथराव और उपद्रव के आरोपी बॉबी समेत सभी युवाओं को जमानत मिल गई है। बॉबी समेत सभी की जमानत पर मंगलवार को फैसला टल गया था। बुधवार को मामले में सुनवाई हुई।
सीजेएम कोर्ट में बॉबी समेत सभी आरोपियों पर जानलेवा हमले की धारा लगाने और छह आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग पर हुई बहस। अदालत में अभियोजन की ओर से रखे गए घायल अधिकारियों के मेडिकल सर्टिफिकेट रखे गए। इसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष ने कहा अधिकारी घायल थे तो बाद में ड्यूटी क्यों की। इसके बाद छह आरोपियों की जमानत रद्द करने पर कोर्ट में बहस हुई। अभियोजन ने बेल बॉन्ड न भरने को आधार बताया। बचाव ने पहला ऑर्डर जारी रखने की अपील की।
सीजेएम लक्ष्मण सिंह की कोर्ट में मंगलवार को बॉबी समेत सात की जमानत पर अभियोजन और बचाव पक्ष में जोरदार बहस हुई। आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अदालत से जमानत की मांग की। इसके विरोध में अभियोजन की ओर से उपद्रव के दिन के कुछ फोटो, वीडियो और अगले दिन की अखबारों की कटिंग पेश की गई। अभियोजन की ओर से कहा गया कि पथराव में एसओ प्रेमनगर, एसआई संतोष और सीओ प्रेमनगर आशीष भारद्वाज गंभीर रूप से घायल हैं। इनका सुभारती और दून अस्पताल में इलाज चल रहा है। लिहाजा, इस मुदकमे में पहले काटी गई धारा 307 को भी बढ़ाया जाए।
लेकिन, इसके संबंध में कोई मेडिकल रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की गई। इसके लिए पुलिस ने वक्त की मांग की। बचाव पक्ष की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि पुलिस इस मामले को जानबूझकर टाल रही है। इससे अनावश्यक रूप से बॉबी समेत सभी युवाओं को जेल में रखा जा रहा है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पुलिस को एक दिन का समय मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दिया है। बता दें कि 10 फरवरी को पुलिस ने धारा 307 में न्यायिक अभिरक्षा रिमांड मांगा था। लेकिन, कोर्ट ने जानलेवा हमले की धारा को हटाकर गंभीर हमले की धारा 324 में रिमांड मंजूर किया था।