राज्यपाल बोले, उत्तराखण्ड में मौन पालन की असीमित संभावनाएं , इस व्यवसाय में एक लायी जा सकती है एक नयी क्रांति, राज्य की आर्थिक समृद्धि का बन सकता है आधार , सुनियोजित योजना बनाये जाने की जरूरत बताई
नवनियुक्त राज्यपाल सलाहकार (मौन पालन) डॉ. के. लक्ष्मी राव ने की शिष्टाचार मुलाकात
जताई उम्मीद, मौन पालन के क्षेत्र में किए गए शोध एवं अनुभवों का लाभ उत्तराखंड को अवश्य ही मिलेगा
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से राजभवन में नवनियुक्त राज्यपाल सलाहकार (मौन पालन) डॉ. के. लक्ष्मी राव ने शिष्टाचार मुलाकात की। डॉ. लक्ष्मी राव पूर्व में केंद्रीय मौन पालन अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (सीबीआरटीआई) पुणे में सहायक निदेशक रही हैं। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से भारतीय शहद के पैलिनोलॉजिकल विश्लेषण पर पीएचडी की है। उन्हें मौन पालन के क्षेत्र में 30 वर्षों के शोध का अनुभव है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके 60 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने परियोजना अन्वेषक के रूप में भी कई अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को सफलतापूर्वक संभाला था।
इस अवसर पर राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि डॉ. लक्ष्मी राव के मौन पालन के क्षेत्र में किए गए शोध एवं अनुभवों का लाभ उत्तराखंड को अवश्य ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में मौन पालन की असीमित संभावनाएं हैं, इस व्यवसाय में एक नयी क्रांति लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मौन-पालन उत्तराखंड की आर्थिक समृद्धि का आधार बन सकता है इसके लिए सुनियोजित योजना बनाये जाने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा की यहां की महिलाओं, युवाओं, पूर्व सैनिकों और उद्योग से सम्बन्धित लोगों को व्यावसायिक मौन पालन से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मौन पालन व्यवसाय के लिए लोगों को प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा की उच्च हिमालयी क्षेत्रों के शहद की गुणवत्ता को आईआईटी रुड़की और जर्मनी की प्रयोगशालाओं में टेस्ट किया गया, जिसमें बताया गया है कि यह एंटी ऑक्सीडेंट जैसे अनेकों गुणों से भरपूर है। उन्होंने कहा की उत्तराखण्ड में उत्पादित शहद विश्व भर में एक अलग पहचान बनाएगा और यहां के शहद की एक अलग ब्रांड स्थापित होगी। उन्होंने मौन पालन में क्रांति लाने के लिए डॉ. राव को एक ठोस कार्ययोजना बनाने को कहा।