उत्तराखण्डदेहरादून

चमोली  जैसे हादसों की पुनरावृत्ति ना हो, के लिए  प्रदेश में कार्यरत सभी कार्यदायी संस्थाओं की उच्च स्तरीय बैठक में सुरक्षा मानकों के पालन करने की हिदायत, ACS राधा रतूडी ने कहा,  कार्यदायी संस्थाओं पर नई नीति लागू करने का निर्णय जल्द

अपर मुख्य सचिव  की समीक्षा बैठक में हुआ की बातों का खुलासा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिए थे व्यवस्था सुधारने के निर्देश
देहरादून।कार्यदायी संस्थाएं इलैक्ट्रिकल वर्क को सिविल वर्क के साथ जोड़ देती हैं। जबकि कार्यदायी संस्थाओं के पास इलेक्ट्रिकल वर्क के लिए पृथक से इंजीनियर उपलब्ध रहते हैं। एक ही एस्टीमेट बनाने तथा एक साथ कार्य कराने से इलेक्ट्रिकल वर्क के लिए अच्छे से  कार्य करने तथा सुरक्षा के मानकों का पालन करने में कंप्रोमाइज भी करना पड़ता है। सिविल कॉन्ट्रैक्टर्स ही इलेक्ट्रिकल कार्य को करवाते हैं। ये खुलासा अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की बैठक में हुआ है। चमोली जैसे हादसों की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में कार्यरत समस्त कार्यदायी संस्थाओं की एक उच्च स्तरीय बैठक अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने ली। बैठक में इस व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए समस्त कार्यदायी संस्थाओं से सुझाव लिये गए।  बैठक में सचिव वी षणमुगम, अपर सचिव जगदीश कांडपाल, थपलियाल तथा विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कहा , मानदंडो के अनुसार ही उपकरण प्रयोग करें
कार्यदायी संस्थाओं से सुरक्षा मानकों पर चर्चा करते हुए एसीएस राधा रतूड़ी ने सख्त हिदायत दी कि सुरक्षा मानकों के लिए उच्चतम स्तर के मानदंड हैं, उन मानदण्डों के अनुसार ही उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए। एसीएस ने कड़े निर्देश दिए कि प्रोजेक्ट या कार्य पूर्ण होने के उपरान्त भी सुरक्षा मानक निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप बने रहने चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि वर्तमान में कार्यरत मजदूरों के अलावा उस भवन, प्रोजेक्ट या मशीनरी में कार्य पूर्ण होने के बाद लगाये जाने वाले श्रमिकों या कार्मिकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना तथा सुरक्षा मानकों का समय समय पर परीक्षण करवाया जाना आवश्यक है। बैठक में इसे सुनिश्चित किये जाने का निर्णय लिया गया।
इलेक्ट्रिक कार्य के विशेषज्ञ ठेकेदार रह जाते हैं वंचित
बैठक में यह तथ्य भी संज्ञान में आया कि सिविल और इलेक्ट्रिकल वर्क का एक ही एस्टीमेट बन जाने से इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रैक्टर्स जो छोटे ठेकेदार है या अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ है, उनके कार्य से वंचित होने की भी समस्या आती है। इस व्यवस्था में परिवर्तन से उनकी दक्षताओं का उपयोग भी इलेक्ट्रिकल कार्यों  में किया जा सकेगा। एसीएस राधा रतूड़ी ने कहा कि जल्द से जल्द प्रदेश में कार्यदायी संस्थाओं के लिए सिविल वर्क एवं इलैक्ट्रिकल वर्क के लिए स्पष्ट अलग अलग व्यवस्था, सुरक्षा मानकों के लिए उच्चतम स्तर के मानदण्डों का पालन, मजदूरों व कार्मिकों के प्रशिक्षण एवं सुरक्षा मानकों के परीक्षण से सम्बन्धित नई नीति तैयार करते हुए उसे समस्त कार्यदायी संस्थाओं पर लागू किया जाने का उच्च स्तरीय निर्णय लिया जाएगा।

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