उत्तराखण्डकृषिदेहरादून

राज्य स्तरीय गोष्ठी में बोले कृषि मंत्री जोशी, सरकार का मकसद,  कृषकों की मांग के अनुसार ही उपलब्ध करायी जायेगी नवीनतम प्रजाति की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री 

प्रदेश में खराब होने वाले फलों का सदुपयोग कर
किसानों को लाभान्वित किया जाएगा
उत्तराखण्ड में जैविक खेती एवं सेब की सघन बागवानी को बढावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय कृषक गोष्ठी का आयोजन 
देहरादून । उत्तराखण्ड में जैविक खेती एवं सेब की सघन बागवानी को बढावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय कृषक गोष्ठी का उद्घाटन सुबे के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री जोशी ने  सभी किसानों का आभार प्रकट करते  हुए कहा  कि सरकार का उद्देश्य है कि कृषकों की मांगानुसार ही नवीनतम प्रजाति की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी। प्रदेश में खराब होने वाले फलों का सदुपयोग कर अन्य प्रदेशों यथा- गोवा की भॉति फ्रूट वाईन बनाकर एक तरफ किसानों को हो रही हानि से बचाने एवं दूसरी ओर प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर भी अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने किसानों द्वारा की गयी मांग के दृष्टिगत प्रदेश में फलों को संरक्षित करने के लिए कोल्ड चैन की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए इस सम्बन्ध में एक स्थान पर अत्यधिक उत्पादन होने पर भी कोल्ड स्टोरेज की उपयोगिता पर बल दिया। कृषि सचिव दीपेन्द्र चौधरी व कृषि महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान ने भी किसानों को संबोधित किया। कार्यक्रम में पूर्व राज्यमंत्री नारायण सिंह राणा
पदमश्री प्रेम चन्द्र शर्मा, प्रताप सिंह रावत, मण्डी परिषद के प्रबंध निदेशक आशीष भटगई, उद्वान विभाग के अपर निदेशक डा. आरके सिंह, डा. रतन कुमार, डा. सुरेश राम, डा. बृजेश गुप्ता, महेन्द्रपाल, नरेन्द्र यादव, रजनीश सिंह, डा. रोहित बिष्ट, मुख्य उद्यान अधिकारी डा. मीनाक्षी जोशी, तेजपाल सिंह, डीके तिवारी, प्रभाकर सिंह, राजेश तिवारी, आरके सिंह, रामस्वरूप वर्मा, सतीश शर्मा उपस्थित रहे।
कृषि मंत्री ने  दिए ये निर्देश 
 किसानों को फल प्रजाति का चयन करने के लिए पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान की जाय।
 कोरोगेटेड बॉक्स की गुणवत्ता में और सुधार किया जाय एवं समय पर किसानों की आवश्यकतानुसार वितरण सुनिश्चित किया जाय, जिससे अन्य राज्यों से आयात रोका जा सके।
 किसानों द्वारा की गयी मांग के अनुसार राजसहायता में वृद्धि पर विचार किया जाय।
 स्थानीय स्तर पर छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयॉ स्थापित कर कृषकों को उनके बाजार में बिक्री अयोग्य उत्पाद का भी उचित मूल्य प्रदान कराया जाय।
 गढ़वाल एवं कुमाऊ मण्डल में 02-02 रिफरवैन की व्यवस्था की जाय ताकि कृषकों के उत्पादों की सुगमतापूर्वक विपणन व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।
 प्रदेश के कृषकों के औद्यानिक उत्पादों (फल व सब्जी) को संरक्षित रखने के लिए हरियाणा के सोनीपत में 5000 मै.टन की भण्डारण क्षमता का भण्डारगृह किराये पर शीघ्र लिया जायेगा, जिससे प्रदेश के कृषक बाजार की मांग के अनुसार अपने उत्पादों की बिक्री कर अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
 विभागीय कार्मिकों को तकनीकी संस्थानों में एवं प्रदेश के किसानों को दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित करने के लिए  कार्यक्रम किये जायें।
 जनपद उत्तरकाशी के हर्षिल में उत्पादित सेब को विशेष पहचान दिलाने के लिए  पृथक से सेब के कोरोगेटेड बॉक्स वितरित किये जायें।
 प्रदेश में पौध रोपण सामग्री का उत्पादन कर रही राजकीय एवं व्यक्तिगत पौधशालाओं से शतप्रतिशत फल पौध वितरण के उपरान्त ही कृषकों की शेष मांग की पूर्ति हेतु राज्य के बाहर की पौधशालाओं से आपूर्ति पर विचार किया जाय। साथ ही प्रदेश की राजकीय पौधशालाओं में पौध रोपण सामग्री के लक्ष्यों में वृद्धि करने के निर्देश दिये गये।
 किसानों की समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु कॉल सेन्टर की स्थापना तत्काल करायी जाय, जिससे कृषकों की समस्याओं का समाधान हो सके। साथ ही प्रदेश का स्प्रे-सिड्यूल तथा वर्षभर की औद्यानिक गतिविधियों का कैलेण्डर तैयार कर वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाय।
 कृषकों को विभिन्न औद्यानिक निवेशोें की आपूर्ति समय पर सुनिश्चित करायी जाय।
 कृषकों के उत्पादों की विपणन समस्या को दूर करने के लिए उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद को मजबूती प्रदान की जाय।
 अन्य फलों को भी प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जाय।

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