Uttarakhand Tunnel Accident:सिलक्यारा सुरंग पहुंची उच्च क्षमता की ऑगर मशीनों की खेप, तेजी के साथ मलबा निकालने में मिलेगी मदद, टनल में फंसे मजदूरों को जल्द बाहर निकालने की उम्मीद जगी
दिल्ली से वायु सेना के विशेष विमान मशीनों के पार्ट्स लेकर चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतरे
उत्तरकाशी। जनपद के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडाल गांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में बीते रविवार तड़के हुए हादसे में 40 मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। राज्य सरकार की ओर से मजदूरों को से सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर खुद निगरानी रख रहे हैं।
बीते मंगलवार रात ऑगर मशीन में तकनीक खराबी होने पर नई दिल्ली से नई हैवी मशीन मंगवाई गई हैं। जिसके पार्ट्स की खेपों को वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों ने तीन खेपों में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतारा है। इसके बाद इन्हें चिन्यालीसौड़ से सिलक्यारा टनल साइट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पहुंचाया गया।
मशीन के बुधवार देर शाम तक स्थापित होने के बाद रात में इसके ड्रिलिंग शुरू करने की उम्मीद है। निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में भूस्खलन के बाद 40 मजदूर पिछले चार दिनों से सुरंग में फंसे हुए हैं। पहले इन मजदूरों को बाहर निकालने के लिए जेसीबी मशीनों से मलबा हटाने का काम किया जा रहा था, जिसके बाद देहरादून से ऑगर मशीन मंगवाई गई। बीते मंगलवार देर शाम तक इस मशीन को स्थापित किया गया, जिससे देर शाम को थोड़ा-बहुत ड्रिलिंग की गई, उसके बाद तकनीकी खराबी के चलते मशीन को हटा दिया गया। इसके बाद वायुसेना के विमानों के जरिये दिल्ली से नई ऑगर मशीन मंगवाई गई।
बुधवार को इस मशीन को वायुसेना के हरक्यूलिस विमान तीन खेप में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतारा गया। इसके लिए सुबह करीब 10 बजे पहले हेली से वायुसेना की कम्यूनिकेशन टीम दिल्ली के हिंडन एयरबेस से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतरी। इसके बाद 11:30 बजे वायुसेना का एयरक्राफ्ट रेकी कर लौटा। जिसके बाद दोपहर एक बजे वायुसेना के हरक्यूलिस विमान ने मशीन के पार्ट्स को एयरलिफ्ट कर चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी। इसे सड़क मार्ग से ग्रीन कॉरिडोर तैयार कर चिन्यालीसौड़ से सिलक्यारा टनल साइट तक पहुंचाया गया।
वायुसेना का पहला हरक्यूलिस विमान नई दिल्ली के हिंडन एयरबेस से नई मशीन के पार्ट्स लेकर दोपहर करीब एक बजे चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतरा। जिसके बाद ट्रक के माध्यम से इन पार्ट्स को करीब पौने चार बजे सिलक्यारा टनल में पहुंचाया गया । दो बजे मशीन लेकर आए विमान के अंदर मशीन के पार्ट्स फंस गए, जिन्हें निकालने का प्रयास किया गया। वहीं तीसरा विमान भी लैंडिंग के लिए पहुंचा। लेकिन दूसरा विमान खाली नहीं होने के चलते यह नहीं उतर पाया । बुधवार को इन मशीनों की खेप सिलक्यारा टनल पहुंचने के बाद मशीन को स्थापित करने का काम किया जाएगा।
25 टन भारी यह मशीन मलबे को भेद कर स्टील पाइप दूसरी तरफ पहुंचने में मददगार साबित होगी।
इस मशीन के जरिए प्रति घंटे 5 मीटर मलबा निकला जा सकेगा।
प्रभारी राहत एवं बचाव मिशन सिलक्यारा कर्नल दीपक पाटिल का कहना है कि
अमेरिका में बनी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन पुरानी मशीन से काफी एडवांस है, जो काफी स्पीड में काम करेगी। राहत एवं बचाव ऑपरेशन में अब मिलिट्री ऑपरेशन की टीम भी शामिल हो गई है। इसके साथ वायुसेना, थल सेना भी बचाव अभियान में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है।
नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की ली जा रही मदद
अब नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की मदद ली जा रही है। रेस्क्यू टीम ने थाईलैंड की उसे रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकाला था नॉर्वे की एनजीआई एजेंसी से भी संपर्क किया गया है जिससे सुरंग के भीतर ऑपरेशन में विशेष सुझाव लिए जा सके।
भारतीय रेल, आर वी एन एल, राइट्स एवं इरकॉन के विशेषज्ञों से भी सुरंग के भीतर ऑपरेशन के बारे में मदद ली जा रही है।