ऊर्जा क्षेत्र में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने हासिल की एक और बड़ी उपलब्धि, 1200 मेगावाट कलाई-II एचईपी के कार्यान्वयन के लिए अरुणाचल प्रदेश सरकार के साथ MoU पर हस्ताक्षर , 13,000 करोड़ है परियोजना की अनुमानित लागत
CMD THDCIL आरके विश्नोई बोले , इस परियोजना में 7 उत्पादन इकाइयां शामिल
देहरादून/ऋषिकेश/ नई दिल्ली : ऊर्जा क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए भारत की विद्युत उत्पादन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने गत 30 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में 1200 मेगावाट की कलाई-II जलविद्युत परियोजना के कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओए) के सफल क्रियान्वयन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर. के. विश्नोई ने बताया कि इस परियोजना में 7 उत्पादन इकाइयां शामिल हैं, जिनमें 190 मेगावाट की 6 इकाइयां और 60 मेगावाट की 1 इकाई शामिल हैं और परियोजना की अनुमानित लागत 13,000 करोड़ रूपये है । टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की ओर से भूपेन्द्र गुप्ता, निदेशक (तकनीकी) एवं अरुणाचल प्रदेश सरकार की ओर से अंकुर गर्ग, (आईएएस) (जलविद्युत आयुक्त) द्वारा 30 दिसंबर को नई दिल्ली में एमओए पर हस्ताक्षर किए गए । इस अवसर पर डॉ एचके पालीवाल, सलाहकार, (अरुणाचल प्रदेश सरकार), धर्मेंद्र (आईएएस), मुख्य सचिव (अरुणाचल प्रदेश सरकार), एलपी जोशी, कार्यपालक निदेशक (टिहरी कॉम्प्लेक्स व अरुणाचल प्रदेश परियोजना), दिनेश शुक्ला, अपर महाप्रबंधक (ऐपीपी) अनिल रघुवंशी, वरि. प्रबंधक (डिजाइन) तथा टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और अरुणाचल प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
यह एमओए ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही आर्थिक प्रगति को भी देगा बढ़ावा: सीएस धर्मेंद्र
अरुणाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र ने इस अवसर कहा कि कलाई-II जलविद्युत परियोजना (एचईपी) का विकास लोहित बेसिन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। मुख्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि इस परियोजना से केवल ऊर्जा सुरक्षा जरूरतें ही नहीं बल्कि क्षेत्र की व्यापक उन्नति में भी योगदान मिलेगा ।
यह समझौता ज्ञापन (एमओए) एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में परियोजना की भूमिका को रेखांकित करता है, जिससे न केवल ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा बल्कि लोहित बेसिन में समग्र सामाजिक-आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा मिलेगा । मुख्य सचिव की टिप्पणियाँ सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता और कलाई-द्वितीय एचईपी के स्थानीय समुदायों और बड़े पैमाने पर क्षेत्र पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित करती हैं।
विद्युत परियोजना टीएचडीसीआईएल की सतत ऊर्जा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण :R.K. विश्नोई
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आरके विश्नोई ने इस उपक्रम की ऐतिहासिक प्रकृति के महत्व पर विशेष बल दिया, क्योंकि यह लोहित बेसिन में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसयू) द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली पहली परियोजना है, जो इस क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास की दिशा में एक विशेष कदम है। अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में स्थित कलाई-II जलविद्युत परियोजना टीएचडीसीआईएल की सतत ऊर्जा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है और क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए एक प्रमुख वाहक के रूप में अग्रसर है।उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्र के हरित ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करते हुए, परियोजना से वार्षिक 4852.95 मिलियन यूनिट (एमयू) ऊर्जा उत्पन्न होने की संभावना है, जो समग्र ऊर्जा मिश्रण में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ सहजता से समायोजित है। यह महत्वपूर्ण योगदान पर्यावरण के अनुकूल विद्युत के साथ देश की भविष्य की ऊर्जा मांग की पूर्ति करने, स्वच्छ और सतत ऊर्जा परिदृश्य को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
विद्युत उत्पादन के अतिरिक्त, कलाई-II जलविद्युत परियोजना अरुणाचल प्रदेश में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सहायक है। विश्नोई ने यह भी कहा कि इस पहल का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और जीवन स्तर को ऊंचा उठाकर स्थानीय समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालना है। टीएचडीसीआईएल, अरुणाचल प्रदेश में रोजगार सृजन के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने के लिए तैयार है एवं रोजगार के अवसरों और कौशल विकास पहलों के माध्यम से, क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक कल्याण में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विशेष उपलब्धि सतत ऊर्जा समाधानों के प्रति टीएचडीसीआईएल के समर्पण को प्रदर्शित करती है और भारत के ऊर्जा परिदृश्य के भविष्य को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।