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पीएम मोदी ने विपक्ष पर चुन-चुनकर दागे सवाल, पूछा- ‘ईवीएम जिंदा है या मर गया?’

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से NDA संसदीय दल का नेता चुना गया. नेता चुने जाने के बाद NDA प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. इससे पहले संसद भवन की पुरानी इमारत में स्थित संविधान कक्ष में NDA की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर भी निशाना साधा. प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जब चार जून के नतीजे आए तो मैं काम में व्यस्त था. बाद में फोन आने शुरू हुए. मैंने कहा कि ये आंकड़े तो ठीक हैं, ये बताओ कि EVM जिंदा है या मर गया? क्योंकि ये लोग तय करके बैठे थे कि भारत के लोकतंत्र और लोकतंत्र की प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा दिया जाए. ये लगातार EVM को गाली देते रहे. ये EVM की अर्थी निकालने की तैयारी में थे।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन 4 जून की शाम तक उनको ताले लग गए. ईवीएम ने उनको चुप करा दिया. यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है, इसकी निष्पक्षता है. मुझे उम्मीद है कि मुझे 5 साल तक EVM के बारे में सुनने को नहीं मिलेगा, लेकिन जब हम 2029 में जाएंगे, तो शायद वे फिर से ईवीएम के बारे में बात करेंगे. देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.’ PM मोदी ने कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधा और कहा, ’10 साल बाद भी कांग्रेस 100 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाई. अगर 2014, 2019 और 2024 के चुनावों को मिला दें, तो कांग्रेस को उतनी सीटें भी नहीं मिलीं, जितनी इस चुनाव में बीजेपी को मिलीं. मैं साफ देख सकता हूं कि पहले इंडी गठबंधन के लोग धीरे-धीरे डूब रहे थे, अब वे तेजी से डूबने वाले हैं।’

PM मोदी ने दावा किया कि देश को सिर्फ NDA पर भरोसा है और उन्होंने कहा, ‘जब इतना अटूट भरोसा और विश्वास होता है, तो स्वाभाविक है कि देश की उम्मीदें भी बढ़ेंगी और मैं इसे अच्छा मानता हूं.’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैंने पहले भी कहा था कि पिछले 10 सालों का काम तो बस एक ट्रेलर है और यही मेरी प्रतिबद्धता है.’ उन्होंने देश की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बिना किसी देरी के और अधिक तेजी से, अधिक आत्मविश्वास के साथ और अधिक विस्तार से काम करने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘हम न तो हारे थे और न ही हारे हैं, लेकिन 4 तारीख के बाद हमारा व्यवहार हमारी पहचान बताता है कि हम जीत को पचाना जानते हैं. हमारे संस्कार ऐसे हैं कि हम जीत की गोद में उन्माद नहीं पालते और न ही हारे हुए का मजाक उड़ाने के संस्कार हमारे अंदर हैं. हम विजयी की रक्षा करते हैं और पराजित का मजाक उड़ाने की विकृति हमारे अंदर नहीं है. ये हमारे संस्कार हैं।’

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