श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में वैक्सीनोलाॅजी पर कार्यशाला आयोजित , शिशुओं और बच्चों के टीकाकरण को लेकर विशेषज्ञों ने किया मंथन
शिशुओं और बच्चों में टीकाकरण के बाद उभरने वाले दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने को लेकर भी हुई चर्चा,
मेडिकल काॅलेजों के 50 से अधिक शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों ने कार्यशाला में किया प्रतिभाग
देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु एवं बाल रोग विभाग द्वारा ’ब्रिजिंग फ्राॅम थ्योरी विद प्रैक्टिस इन वैक्सीनोलाॅजी ’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स (आई.ए.पी.) के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एंड हेल्थ सांइसेज के प्रिंसिपल डाॅ. अशोक नायक, रजिस्ट्रार, अनुसंधान एवं विकास श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, डाॅ. पंकज मिश्रा, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डाॅ. उत्कर्ष शर्मा, शिशु एवं बाल रोग विभागाध्यक्ष, डाॅ. बिदुं अग्रवाल एवं वरिष्ठ शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ व सचिव आई.ए.पी., देहरादून, डाॅ. तन्वी खन्ना ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया ।
स्वागत अभिभाषण डाॅ. तन्वी खन्ना ने दिया । उन्होने कार्यशााला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होने कार्यशाला के विषय का परिचय देते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों को दैनिक व्यवहार में टीकों के साथ अक्सर आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए तैयार करना है। एसोसिएट प्रोफेसर, शिशु एवं बाल रोग विभागाध्यक्ष, डाॅ. बी.एस.ए. हाॅस्पिटल एंड मेडिकल काॅलेज, नई दिल्ली ने अपने विषय ’बुनियादी इम्यूनोलाॅजी और सामान्य सिद्वांत’ के बारे में बताया। उन्होंने शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों को निर्देशित किया कि मरीजों के लिए टीकोें की खुराक किस प्रकार तय की जाए। उन्होंने बताया कि टीके किस तरह से शिशुओं और बच्चों की रक्षा करते है, जिससे परिणामस्वरूप बीमारियों की रोकथाम होती है और इस प्रकार उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है।
उपाध्यक्ष, आई.ए.पी.( इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स) उत्तरी जोन, डाॅ. सतीश शर्मा ने कोल्ड चेन विषय पर प्रकाश डाला। उन्होने विभिन्न टीकों को कैसे संग्रहित किया जाए और अनुकूल तापमान कैसे बनाए रखा जाए इसके बारे में विस्तार से बताया।
वरिष्ठ शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ, चिरंजीव अस्पताल, रूड़की, डाॅ. सुधीर चौधरी ने अपने विषय टीकाकरण के बाद पेश आने वाली प्रतिकूल घटनाएं (साईड इेफैक्टस), ए.इ.एफ.आई. के बारे में बताया। उन्होंने शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों को बताया कि विभिन्न टीकाकरण के बाद उभरने वाले दुष्प्रभावों को कैसे नियंत्रित किया जाए।
डाॅ उत्कर्ष शर्मा ने अपने विषय ’विशेष परिस्थितियों में टीके’ के बारे मेें बताया। उन्होनें इस बात पर प्रकाश डाला कि शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों ने विशेष परिस्थियों में टीकाकरण कैसे किया जाना चाहिए जैसे कि कीमोथेरेपी ले रहे बच्चे, प्रतिरक्षा-सप्रेसेंट लेने वाले बच्चे, स्टेराॅयड लेने वाले बच्चे, आदि। उपरोक्त वक्ताओं ने पोलियो, रोटावायरस, एमएमआर, इन्फ्लुएंजा, टाइफाइड, एचपीवी, रेबीज, एचएवी, वैक्सीन, वैरिसेला, मेनिंगोकोकल, जेई, टैक्लर्स वैक्सीन, हर्पीस जोस्टर, आदि जैसे विभिन्न टीकों पर शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों के सामान्य प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. उत्कर्ष शर्मा ने दिया।
श्री गुरु राम राय इंस्टीटयूट आफ मेडिकल एंड हेल्थ सांइसेज, हिमालयन इंस्टीटयूट हाॅस्पिटल ट्रस्ट और अन्य मेडिकल काॅलेजों के 50 से अधिक शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया।
कार्यशाला को सफल बनाने में डाॅ. रागिनी सिंह, डाॅ. विशाल कौशिक, डाॅ. मोनिका कश्यप, डाॅ. श्रुति, डाॅ. प्रमिला और डाॅ. मेघा लूथरा की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।