उत्तराखण्डदेहरादून

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने अपने 3 साल के कार्यकाल की  उपलब्धियां को रखा सामने, कहा -आयोग की जानकारी आम जनमानस तक पहुंचाई गई

कई कार्यक्रम, 15 राज्य व राष्ट्रीय कार्यशालाओं का किया गया आयोजन,
702 शिकायतों में से 370 की गई निस्तारित

देहरादून।उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने कहा कि उनका प्रमुख उद्देश्य आयोग की जानकारी को आम जनमानस तक पहुंचाना था ,जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता हासिल हुई। आयोग को दूरस्थ तक पहुंचाने के लिए आयोग स्तर से कई कार्यक्रम/ कार्यशाला का आयोजन किया गया।

मीडिया सेंटर, सचिवालय परिसर में आयोजित प्रेस वार्ता में आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने अपने 3 वर्ष के कार्यकाल में किए गए कार्यों को सामने रखा। उन्होंने कहा कि 3 साल में कई बड़े कार्यक्रम और 15 राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। 3 साल के कार्यकाल में प्राप्त 702 शिकायतों में से 370 निस्तारित की गई, जबकि 332 में कार्यवाही प्रचलित है।आयोग ने राज्य एवं जनपद स्तर पर विशेष दिवस मनाते हुए जागरूकता को एक नया रूप देने का प्रयास किया। विशेष शिक्षित वर्ग  डॉक्टर व शिक्षक जो कि बच्चों के साथ जुड़कर कार्य करते हैं, उनको बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूक करने का पूर्ण प्रयास किया गया। इसके अतिरिक्त आयोग ने अपने स्तर से बाल कल्याण समिति के साथ सामंजस्य करके उनके कार्यक्षेत्र के बारे में जनपदों में जानकारी देने का प्रयास रहा। आयोग ने अपने स्तर पर यह भी अनुभव किया कि जनपद स्तरीय अधिकारियों का बाल अधिकारों के संबंध में संवेदनशील होना अत्यन्त आवश्यक है।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा आयोजित सभी कार्यशालाओं व बैठकों में उन्होंने प्रतिभाग कर जानकारी प्राप्त की ।उन्हें शत-प्रतिशत अपने राज्य में क्रियान्वित किए जाने का संपूर्ण प्रयास किया ,जिसमें उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई है।
आयोग ने उनके कार्यकाल में चिल्ड्रन चौंपियन अवार्ड की शुरुआत की तथा राजभवन में भी कार्यशाला का आयोजन कर  राज्यपाल ने वीर बालिकाओं को सम्मानित करवाया  तथा बालिकाओं के लिए  गर्ल्स एंथम भी लॉन्च किया गया। आयोग अध्यक्ष ने बताया  कि बाल अधिकारों की जागरूकता के लिए समस्त जनपदों में कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिनमें से दो जनपदों में कार्यशाला का आयोजन दिसम्बर माह में किया जाएगा तथा आयोग की और से राष्ट्रीय स्तर पर इमर्जिंग पॉलिसी शिफ्ट विषय पर कार्यशाला व कार्यक्रम का आयोजन किया गया था,
जिसमें देश से 18 राज्यों से  अध्यक्ष व  सदस्यों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में  विषय पर जो भी चुनौतियाँ सामने आई उनकी समीक्षा कर संस्तुति शासन को प्रेषित की गई है। आयोग की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही है कि 50 से 60 मामले जिनकी शिकायत आयोग में आई तथा उनकी पत्रावलियाँ आरम्भ होने से पहले ही उनका निस्तारण किया गया।  आयोग अध्यक्ष ने इस मौके पर  आयोग के  सदस्य  विनोद कपरवाण जो पूरे 3 वर्ष के कार्यकाल में उनका संपूर्ण सहयोग देते रहे उनका धन्यवाद किया व आभार व्यक्त किया।
प्रेस वार्ता में आयोग के  सदस्य विनोद कपरवाण उपस्थित रहे।
कहा,बच्चों को प्रताड़ित किए जाने के मामलों पर आयोग ने सख्ती से लिया संज्ञान
देहरादून।डॉ गीता खन्ना ने  कहा कि  बच्चों को सबसे अधिक प्रताडित कोचिंग सेंटर व किड्स स्कूलों के संचालकों की ओर से किया जा रहा है, जिस पर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सबसे पहले संज्ञान लिया तथा शासन को कोचिंग सेंटरों व किड्स स्कूल के संचालन के मानदण्ड तैयार किये जाने के लिए के लिए नियमावली तैयार जाने की संस्तुति उत्तराखण्ड शासन को भेजी है। आयोग की पहल पर नशा मुक्ति केन्द्र के संचालन के लिए शासन स्तर पर गाइडलाइंस तैयार कर जारी की जा चुकी है। जिसमें विशेषतः आयोग का सुझाव यह है कि बच्चों को डी-एडिक्शन सेंटर में न रखकर उनके लिये डी-इंडक्शन सेंटर्स में रखा जाए जिससे कि बच्चों उनकी काउंसलिंग आरकेएसके के द्वारा करवाते हुए उन्हें जीवन व भविष्य के बारे में बताकर उनको नशे की लत में पड़ने से दूर किया जा सके।
बच्चों की शिक्षा में व्यवधान ठीक नहीं
देहरादून।बाल आयोग अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि बच्चों का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार शिक्षा है, जिसमें बच्चों को विद्यालयों में जाने, शिक्षा प्राप्त करने व परीक्षा देने से रोका नहीं जा सकता।अनूमन संज्ञान में आया है कि निजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की अभिभावकों की ओर से  फीस नहीं दिए जाने पर बच्चों की शिक्षा में व्यवधान किया जाता है, जो ठीक नही है।

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