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एक राष्ट्र एक चुनाव” विधेयक  विकसित भारत निर्माण के लिए अहम: महेंद्र भट्ट

राजनैतिक कारणों से विरोध कर रहे  कांग्रेस और इंडी गठबंधन , कहा -सदन  और सदन के बाहर इस मुद्दे पर स्वस्थ चर्चा कर, निर्णय लेने का सही समय आ गया 
देहरादून । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद  महेंद्र भट्ट ने “एक राष्ट्र एक चुनाव” विधेयक को विकसित भारत निर्माण के लिए बेहद अहम बताया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सदन में और सदन के बाहर इस मुद्दे पर स्वस्थ चर्चा कर, निर्णय लेने का सही समय आ गया है। ये विधेयक देश के भले के लिए और इसे वो लोग भी जानते हैं, जिन्होंने 1967 तक इस प्रक्रिया के तहत ही देश में सरकार बनाई, लेकिन आज राजनैतिक कारणों से विरोध कर रहे हैं। यह विचार नया नहीं, बल्कि देशहित में स्वस्थ लोकतान्त्रिक परम्परा को पुनर्स्थापित करने का ऐतिहासिक प्रयास है, जिसका दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को समर्थन करना चाहिए।

इस विषय पर सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में जारी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव आज देश के विकास और देशवासियों के कल्याण के लिए बेहद जरूरी है। पीएम मोदी ने जनभावना और देश की जरूरत को आत्मसार करते हुए इस मुद्दे को हाथ में लिया है। जिसके लिए उनके नेतृत्व में सरकार द्वारा तैयार विधेयक के सभी पहलुओं पर गहन विचार विमर्श के लिए पूर्व राष्ट्रपति एवं संविधानविद  रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। जिसमें इस मुद्दे से जुड़े सभी पक्षों से विस्तृत और व्यापक परामर्श और पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन कर रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने इस चुनावी सुधार विधेयक को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में व्यापक जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने वाला भी बताया।

उन्होंने इस चुनावी सुधार की प्रक्रिया का विरोध करने वाली कांग्रेस को आइना दिखाया कि 1952, 57, 62, 67 के चुनाव तो इसी प्रक्रिया से उन्होंने जीते। एक के बाद एक, धारा 356 के दुरूपयोग कर कांग्रेस ने चुनी हुई सरकारों को गिराया और देश को चुनावी दलदल में फंसा दिया। दरअसल राजनैतिक कारणों से किया जा रहा विरोध कांग्रेस और
इंडी गठबंधन का पाखंड है। ये विपक्ष की एक ऐसी प्रवृत्ति को उजागर करता है, जिसमें मोदी सरकार द्वारा उठाए गए किसी भी सुधारात्मक कदम का विरोध किया जाता है, ‘भले ही वह सार्वजनिक हित के लिए हो।
भट्ट ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को ऐतिहासिक लोकतांत्रिक परंपराओं के साथ सामंजस्य बैठाने वाला बताया है। उन्होंने कहा, यह विचार भारत की लोकतांत्रिक परंपरा के लिए नया नहीं है और चुनाव आयोग, विधि आयोग ने कई बार इसकी संस्तुति वाली रिपोर्ट दी है। मोदी सरकार लंबे समय से प्रतीक्षित अच्छी चुनावी परम्परा को समयानुसार पुनः स्थापित करने का प्रयास कर रही है। यह आरोप निराधार हैं कि इन विधेयकों का उद्देश्य एकदलीय प्रणाली लागू करना है, बल्कि यह लोक कल्याण को बढ़ावा देने वाला कदम है। यह आचार संहिता के बार-बार लागू होने से होने वाले प्रशासनिक व्यवधान कम करने, चुनावी खर्च को घटाने, सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने और चुनावी महापर्व में जनता की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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