राष्ट्रीय

आईआईटी मंडी का यह शोध प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से दिलाएगा निजात

नई दिल्ली। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने प्रकाश के संपर्क में प्लास्टिक को हाइड्रोजन में बदलने की विशेष विधि विकसित की है। प्लास्टिक से हाइड्रोजन बनना इसलिए भी लाभदायक है, क्योंकि हाइड्रोजन गैस भविष्य का सबसे व्यावहारिक गैर प्रदूषक ईंधन माना जाता है। प्लास्टिक अधिकतर पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं परंतु ये बायो-डिग्रेडेबल नहीं हैं। इसका अर्थ यह है कि उन्हें आसानी से बिना नुकसान के अन्य उत्पादों में विघटित नहीं किया जा सकता है।
कहते हैं कि अब तक बने 4.9 बिलियन टन प्लास्टिक का अधिकांश आखिर लैंडफिल में पहुंचेगा, जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य और पर्यावरण को बड़ा खतरा है। बेकाबू हो रहे प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के प्रति उत्साहित आईआईटी मंडी के शोधकर्ता प्लास्टिक को उपयोगी रसायनों में बदलने की विशेष विधि विकसित कर रहे हैं। आईआईटी मंडी के बेसिक साइंसेज के प्रोफेसर डा. प्रेम फेक्सिल सिरिल का कहना है कि प्लास्टिक से सही मायनों में छुटकारा पाने का आदर्श उपाय उसे उपयोगी रसायनों में बदलना है। प्लास्टिक से हाइड्रोजन बनाना विशेष रूप से लाभदायक है क्योंकि इस गैस को भविष्य का सबसे व्यावहारिक गैर-प्रदूषक ईंधन माना जाता है।आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने एक कैटलिस्ट विकसित किया है जो प्रकाश के संपर्क में प्लास्टिक को हाइड्रोजन और अन्य उपयोगी रसायनों में बदलने में सक्षम है। कैटलिस्ट कठिन या असंभव प्रतिक्रियाओं को अंजाम देने वाले पदार्थ हैं और प्रकाश से सक्रिय होने पर उन्हें फोटोकैटलिस्ट कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने एक संवाहक पॉलीमर-पॉलीपायरोल के माध्यम से फोटोकैटलिस्ट को नैनोपार्टिकल (एक बाल के व्यास से सौ हजार गुना बारीक कण) के रूप से आयरन ऑक्साइड के साथ संयोजन किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button