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एनसीईआरटी की 58वीं आम सभा में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने रखे कई सुझाव, कहा – गुणवत्तापरक शिक्षा को टीचर्स ट्रेनिंग पर हो फोकस, राज्यों में डायट व एससीईआरटी का बने पृथक कैडर, मिलें संसाधन

देहरादून/दिल्ली ।सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने एनसीईआरटी जनरल काउंसिल की 58वीं बैठक में कई सुझाव रखे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में डा. रावत ने विद्यालयों में गुणवत्तापरक शिक्षा के लिये टीचर्स ट्रेनिंग पर फोकस करने का सुझाव दिया। साथ ही राज्यों में डायट और एससीईआरटी के प्रबंधन को और बेहतर एवं साधन सम्पन्न बनाने के दृष्टिगत शत-प्रतिशत कार्मिकों की तैनाती करने एवं उनका पृथक कैडर बनाने भी सुझाव रखा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का देशभर में तेजी से क्रियान्वयन होना आवश्यक है।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की अध्यक्षता में मंगलवार को  डा. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र, नई दिल्ली में एनसीईआरटी जनरल काउंसिल की 58वीं बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कक्षा 1-2 के लिए एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों का विमोचन किया इसके साथ ही बैठक में एनसीईआरटी के कई प्रस्तावों को पास किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि कक्षा 1-2 की नवीन पाठ्य पुस्तकों को एनईपी-2020 और एनसीएफ-एफएस 2022 के आधार पर तैयार की गई है। जिससे नई पीढ़ी को कुछ नया पढ़ने एवं सीखने को मिलेगा।
बैठक में प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कई अहम सुझाव रखे। जिसमें उन्होंने कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा के लिये एनसीईआरटी को टीचर्स ट्रेनिंग पर विशेष फोकस करना चाहिये ताकि राज्य भी एससीईआरटी के माध्यम से अपने प्रदेश के शिक्षकों को रोटेशन के आधार पर विशेष प्रशिक्षण देकर एनईपी-2020 के अनुरूप दक्ष बना सके। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि राज्यों में डायट एवं एससीईआरटी निदेशालय को साधन सम्पन्न बनाने के साथ ही शत-प्रतिशत कार्मिकों की तैनाती कर पृथक कैडर बनाया जाना चाहिये। डा. रावत ने बैठक में यह भी सुझाव रखा कि सभी राज्यों को हमारी विरासत नाम से एक पुस्तक तैयार कर पाठ्यक्रम में लागू करना चाहिये जिससे आने वाली पीढ़ी को अपने महान विभूतियों के बारे में जानकारी हो सके। उन्होंने राज्य के चम्पावत जनपद में डायट को मान्यता देने तथा प्रदेश में पीएम-श्री स्कूल के अंतर्गत चयनित सभी विद्यालयों को स्वीकृति प्रदान करने की मांग केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के समक्ष रखी। शिक्षा मंत्री ने उत्तराखंड में कला महोत्सव का आयोजन करने की भी मांग बैठक में रखी।

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