राष्ट्रीय

अपराध के वक्त नाबालिग रहे व्यक्ति को 17 साल जेल में बिताने के बाद राहत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड भेजना होगा अन्यायपूर्ण
नई दिल्ली। हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे और जनवरी, 2004 में अपराध के वक्त नाबालिग (जुवेनाइल) पाए गए व्यक्ति को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई। शीर्ष कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे अब रिहा कर दिया जाए क्योंकि अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) के पास भेजना अन्यायपूर्ण होगा। अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि व्यक्ति 17 साल से अधिक समय की सजा काट चुका है।
पीठ ने कहा, एक अगस्त, 2021 को लखनऊ की संबद्ध जेल के वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा जारी प्रमाणपत्र में यह कहा गया है कि एक अगस्त 2021 तक अर्जीकर्ता ने 17 साल तीन दिन की सजा काटी थी। इसलिए अब अर्जीकर्ता को जेजेबी के पास भेजना अनुचित होगा। अदालत ने कहा, इसलिए हम अर्जी स्वीकार करते हैं और अर्जीकर्ता को निर्देश देते हैं… यह छूट उपलब्ध कराई जाए कि उसे किसी सक्षम अदालत के अन्य आदेश के तहत हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है।
पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि व्यक्ति को हत्या के अपराध में आइपीसी के तहत एक सत्र अदालत ने मई, 2006 में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पीठ ने इस बात का भी जिक्र किया कि उसके और अन्य आरोपितों द्वारा इलाहबाद हाई कोर्ट में दायर की गई अपील खारिज कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने भी इस व्यक्ति के संबंध में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को अगस्त, 2009 में खारिज कर दिया था।

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