राष्ट्रीय

स्मार्ट मीटर से डिस्काम का राजस्व 80 हजार करोड़ तक बढ़ेगा

बिजली खपत पर दूर से ही होगी निगरानी
नई दिल्ली। देश में बिजली चोरी की समस्या का समाधान अब स्मार्ट मीटर से ही होने की उम्मीद है। घरों में जितनी तेजी से स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा, बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) की स्थिति उतनी ही तेजी से सुधरेगी। एक अध्ययन बताता है कि स्मार्ट मीटर लगाने से देश के सभी डिस्काम को अगले कुछ वर्षो में 80 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है। हालांकि चुनौती यह है कि देश के लक्षित 25 करोड़ में से सिर्फ 40 लाख घरों में ही स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं।
स्मार्ट मीटरों व डिजिटल साल्यूशंस देने वाली कंपनी इंटेलीस्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के सीइओ अनिल रावल का मानना है कि अभी भी देश में जितनी बिजली डिस्काम को दी जा रही है उसका 23 फीसद हिस्सा एग्रीगेट टेक्निकल एंड कामर्शियल लास (एटीएंडसी) के रूप में बेकार हो जाता है। इसका आधा हिस्सा चोरी में चला जाता है, जबकि बाकी आधे की बर्बादी ट्रांसमिशन लाइन बेहतर नहीं करने, पुरानी तारों का उपयोग करने या समय पर ट्रांसफारमर नहीं बदलने जैसी वजहों से होती है। केंद्र सरकार देशभर में बिजली मीटर को लेकर बेहद सक्रिय है। बिजली की सही गिनती और सही इस्तेमाल का सटीक लेखा जोखा रखने के सरकार की योजना अगले दो वर्षो में पांच करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने की है। अभी तक रफ्तार धीमी है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में राज्यों में 4.8 करोड़ स्मार्ट मीटर के आर्डर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह पहले ही बिजली पर संसद की स्थायी समिति ने बिजली की चोरी होने से कंपनियों को सालाना 1.22 लाख करोड़ रुपये नुकसान की बात कही थी। केंद्रीय बिजली मंत्रालय राज्यों के सहयोग से स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को प्रोत्साहित कर रहा है। इसके साथ ही स्मार्ट मीटर बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय हालत सुधारने में भी मदद करेगा।

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