यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने भारत को शुरू की एस-400 की आपूर्ति
नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध और उसके चलते लगाए गए विभिन्न प्रतिबंधों के बीच रूस ने भारत को सतह से हवा में मार करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 की दूसरी स्क्वाड्रन की समय से पहले आपूर्ति शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि इस महीने के अंत तक इस प्रणाली के सभी उपकरणों की आपूर्ति पूरी हो जाएगी और उसके बाद इसे तैनात किया जाएगा।
यह प्रणाली अत्याधुनिक रडारों से लैस है, जो 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। 600 किलोमीटर तक की रेंज में आने वाले खतरों का पता लगा सकते हैं । इसमें लगी मिसाइलें 30 किलोमीटर ऊंचाई और 400 किलोमीटर तक दूरी में एक साथ 36 टारगेट को भेद सकती हैं। यह एंटी-मिसाइल दागकर दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकती है। उपग्रहों के जरिये यह दुश्मनों पर नजर रखती है, इससे यह पता चल जाता है कि दुश्मन देश के लड़ाकू विमान कहां से हमला करने वाले हैं। इसमें चार तरह की मिसाइल होती हैं। एक मिसाइल 400 किमी, दूसरी 250 किमी, तीसरी 120 किमी और चैथी 40 किमी की रेंज वाली होती है। रूस ने एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के पहले स्क्वाड्रन की अपूर्ति पिछले साल दिसंबर में थी, जिसे पंजाब में पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है। यह चीन से आने वाले किसी भी खतरे से भी निपटने में सक्षम है। रक्षा क्षेत्र से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एस-400 मिसाइल प्रणाली की दूसरी स्क्वाड्रन एक प्रशिक्षण स्क्वाड्रन है। इसमें सिर्फ सिमुलेटर और प्रशिक्षण से संबंधित कुछ अन्य उपकरण ही शामिल हैं। इसमें मिसाइल या लांचर जैसे उपकरण नहीं हैं।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यूक्रेन से युद्ध के बावजूद रूस की तरफ से रक्षा उपकरणों की आपूर्ति जारी है। अभी तक इसमें किसी तरह की बाधा नहीं आई है। हालांकि, आगे आपूर्ति जारी रहने को लेकर चिंता है, क्योंकि प्रतिबंधों के चलते भारत रूसी कंपनियों को भुगतान नहीं कर पा रहा है। सूत्रों ने बताया कि हाल में रूस से जो रक्षा उपकरण मिले हैं, उनमें मरम्मत किए गए लड़ाकू विमानों के इंजन और पुर्जे शामिल हैं। एस-400 के पहली स्क्वाड्रन के आखिरी उपकरण भी मिले हैं। भारत ने अक्टूबर 2018 में पांच एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डालर (लगभग 35,000 करोड़ रुपये) का करार किया था। इसके सभी पांचों इकाइयों के इस साल तक चालू होने की उम्मीद है। यह रक्षा प्रणाली पाकिस्तान और चीन से किसी तरह के मिसाइल खतरे के पैदा होते ही उन्हें पता लगाने और उसे नाकाम करने में सक्षम है।