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अन्य गेहूं उत्पादक राज्यों में फसल का मिल रहा अधिक मूल्य 

नई दिल्ली। कृषि कानूनों का विरोध करने वाले पंजाब के किसानों को चालू रबी मार्केटिंग सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचने का खामियाजा उठाना पड़ रहा है। दूसरे राज्यों के गेहूं किसानों को खुले बाजार में अधिक मूल्य मिल रहा है। पंजाब में अधिक मंडी शुल्क होने से निजी व्यापारिक प्रतिष्ठान यहां गेहूं खरीद में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में एमएसपी से अधिक भाव होने की वजह से किसानों का रुख सरकारी खरीद केंद्रों की ओर नहीं है।
मध्य प्रदेश में निर्यातकों की गेहूं खरीद से मंडी शुल्क हटा लिया गया है। कृषि उपज की बिक्री के लिए अधिक से अधिक विकल्प देने के लिहाज से केंद्र सरकार ने मंडी कानून में संशोधन किया था। इससे किसान अपनी उपज को अपनी शर्तों और मनमाफिक मूल्य पर जहां चाहे वहां बेचने को स्वतंत्र होते। कृषि क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधारों के लिए संसद से कानून पारित किए गए थे। लेकिन पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठनों ने दिल्ली के बाहर सालभर लंबा आंदोलन चलाया।
इसके बाद केंद्र सरकार ने कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लिया। इसका खामियाजा चालू रबी मार्केटिंग सीजन में पंजाब के किसानों को उठाना पड़ रहा है। राज्य में तीन प्रतिशत मंडी शुल्क, तीन प्रतिशत ग्रामीण विकास शुल्क और ढाई प्रतिशत आढ़त कमीशन लगता है। पंजाब में मंडी शुल्क के चलते निजी व्यापारियों के लिए यहां गेहूं खरीदना महंगा पड़ रहा है। हरियाणा में यह मंडी शुल्क चार प्रतिशत तक ही है।
मध्य प्रदेश सरकार ने खरीद के बीच में ही मंडी शुल्क माफ कर दिया। खासतौर मंडी शुल्क में छूट गेहूं निर्यातकों को दी गई है। इसके बाद से मंडी में शत-प्रतिशत खरीद निजी प्रतिष्ठान ही कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में यह शुल्क 1.5 प्रतिशत है। राज्य में अब तक पिछले साल के लगभग सात लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद के मुकाबले केवल 82 हजार टन गेहूं की खरीद ही सरकारी केंद्रों पर हो सकी है।
खुले बाजार में भाव अधिक होने से किसान अपनी उपज सीधे निजी व्यापारियों बेच रहे हैं। राजस्थान में निजी व्यापारियों की आक्रामक खरीद के चलते पिछले साल के 5.45 लाख टन के मुकाबले इस बार मात्र 737 टन गेहूं ही सरकारी केंद्रों को मिल सका है। दरअसल, बाजार में भाव एमएसपी के मुकाबले अधिक लगाया जा रहा है।भारतीय खाद्य निगम के गेहूं खरीद के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक कुल 1.37 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।
पिछले साल इसी अवधि तक कुल 2.13 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी। इस साल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 74.18 लाख टन है। पंजाब को छोड़कर अन्य गेहूं उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं का भाव निर्धारित एमएसपी 2015 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक बोला जा रहा है। यही वजह है कि गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद केंद्रों पर सन्नाटा है। ज्यादातर किसान अपनी उपज निजी व्यापारियों को मनमाफिक मूल्य पर बेच रहे हैं।

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