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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप होगा स्कूलों का नया पाठ्यक्रम, विवादित विषयों से होगा परहेज

नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी ) आने के बाद से ही स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने का काम भी तेजी से चल रहा है। हालांकि अभी इसके तैयार होने में सालभर से ज्यादा वक्त लगेगा। लेकिन इससे पहले ही इसके स्वरूप को लेकर तरह- तरह की शंकाएं उठना शुरू हो गई है। यह ठीक वैसी ही है जैसा पहले नीति के आने से पहले शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाया जा रहा था। एनसीईआरटी ने इस बीच साफ किया है कि नया स्कूली पाठ्यक्रम बिल्कुल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप ही होगा। साथ ही यह भी नीति की तरह निर्विवाद और भविष्य की जरूरतों पर फोकस करते हुए होगा। खासबात यह है कि स्कूलों के लिए तैयार हो रहे नए पाठ्यक्रम को नीति के अनुरूप ही रखने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक संचालन समिति भी गठित कर रखी है। जिसका प्रमुख पूर्व इसरो प्रमुख और देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाक्टर के.कस्तूरीरंगन को बनाया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी कस्तूरीरंगन की अगुवाई में तैयार की गई थी। जो अब तक विवादों से लगभग दूर रही है।
सरकार की सोच स्कूलों के लिए तैयार हो रहे पाठ्यक्रम को भी नीति की तरह विवादों से ही दूर रखने की है। इस कमेटी में कस्तूरीरंगन के अलावा शिक्षा के क्षेत्र से जुडे 12 और अन्य लोगों को भी शामिल किया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ( एनसीईआरटी) से जुडे वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने में जुटी विशेषज्ञों की टीम को इसके साथ ही यह सुझाव भी दिया गया है, वह स्कूली पाठ्यक्रम में उसी विषयवस्तु को शामिल करें, जो शोधपरक होने के साथ ही तथ्यपरक भी हो। ताकि इन्हें लेकर किसी तरह का कोई विवाद या मत भिन्नता की स्थिति न निर्मित हो पाए।
हालांकि इस बीच स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने का शिक्षा मंत्रालय ने जो लक्ष्य रखा गया है, उनमें इसकी रूपरेखा इसी साल के अंत तक यानी वर्ष 2022 के भीतर तैयार हो जाएगी। वहीं नया स्कूली पाठ्यक्रम भी अगले साल यानी वर्ष 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा। एनसीईआरटी ने हाल ही में पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों के बाद उठे विवादों के बीच नए पाठ्यक्रम को तैयार करने में जुटे विशेषज्ञों को इससे सतर्क किया है। साथ ही उन्हें सुझाव भी दिए है।

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