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बिजली संकट दूर करने को रेलवे ने संभाला मोर्चा, किल्लत वाले क्षेत्रों में जल्द कोयला पहुंचाने के लिए रद की कई यात्री ट्रेनें

नई दिल्ली। बिजली का उत्पादन करने वाली कंपनियों तक तेजी के साथ कोयला पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने कई पैसेंजर ट्रेनों का संचालन रद करने का फैसला किया है। इनमें 16 मेल और एक्सप्रेस दैनिक ट्रेनों के अलावा ट्रेनों के 670 फेरे (ट्रिप) शामिल हैं। ज्यादातर ट्रेनों का संचालन 24 मई तक रोका गया है। हालात की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी और स्थिति सामान्य होते ही संचालन बहाल कर दिया जाएगा। बिजली संयंत्रों के लिए रोजाना 533 रेक से कोयले की ढुलाई हो रही है।
पैसेंजर ट्रेनों के पटरी से हट जाने से कोयले से लदी मालगाडियों की रफ्तार तेज हो जाएगी। रेलवे प्रवक्ता राजीव जैन का कहना है कि रोजाना 16.50 लाख टन कोयले की ढुलाई हो रही है। बिजली संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए रेलवे हर संभव रेक उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है। रेलवे के एक रेक में कुल 3,800 टन कोयले की लदान होती है। मालगाड़ी के एक रेक में औसतन 58 डिब्बे होते हैं। भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने कहा कि सामान्य होते ही रद पैसेंजर ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
कोयले की ढुलाई देश के पूर्वी क्षेत्र से उत्तरी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र की ओर की जाती है। इसी के मद्देनजर रद की जाने वाली ट्रेनों को चिन्हित किया गया है। ज्यादातर उन्हीं ट्रेनों का संचालन रोका गया है, जिन पर यात्रियों का दबाव बहुत कम रहता है। जिन ट्रेनों के 670 फेरों को रद किया गया है, वो सप्ताह में एक, दो या तीन दिन ही चलती हैं। लेकिन इन ट्रेनों के की ढुलाई की रफ्तार घट जाती है।
बढ़ती गर्मी के बीच विभिन्न राज्यों में बिजली कटौती जारी रही। विपक्षी दलों ने बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया। वहीं बिजली मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि 14ः50 बजे तक देश में बिजली की मांग 2,07,111 मेगावाट तक पहुंच गई। बिजली की मांग का यह अब तक का सबसे उच्च आंकड़ा है। वहीं यात्री रेलगाड़ियों को रद किए जाने से आने-जाने वाले लोगों को काफी असुविधा का समाना करना पड़ रहा है।

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