राष्ट्रीय

वसंत पंचमी तक तैयार हो जाएगा प्ले स्कूल के पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क

नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप नए स्कूली पाठ्यक्रम को लेकर अब लंबा इंतजार नहीं करना होगा। शिक्षा मंत्रालय की देखरेख में पाठ्यक्रम तैयार करने में जुटी टीम ने विस्तृत गाइडलाइन तैयार की है, जिसमें सबसे पहले स्कूली पाठ्यक्रम के फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दिया जाएगा। आने वाली वसंत पंचमी तक प्ले स्कूल के पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार कर लिया जाएगा। बाकी स्कूली पाठ्यक्रम को भी अगले कुछ महीनों में अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
नए स्कूली पाठ्यक्रम के लिए फ्रेमवर्क को अंतिम रूप देने की खातिर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गाइडलाइन जारी की। इसके तहत नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा को लेकर सभी पक्षों से सुझाव लिए जाएंगे। खास बात है कि यह पूरी कवायद डिजिटल मोड में संचालित होगी। इसमें कोई भी आनलाइन या मोबालइ एप के जरिये अपना सुझाव दे सकेगा। यह पहल ठीक उसी तरह आयोजित की जा रही है, जैसा एनईपी को लेकर अपनाई गई थी। इसमें देशभर के लोगों से सुझाव मांगे गए थे।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने इस मौके पर कहा कि नया स्कूली पाठ्यक्रम 21वीं सदी की मांगों को पूरा करने वाला है। ऐसे में पाठ्यक्रम को लेकर जो भी कदम उठाया जा रहा है, वह इसी सोच पर आधारित है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि देश में अब भाषा की राजनीति बंद होनी चाहिए। एनईपी में सभी स्थानीय और मातृभाषा में स्कूली शिक्षा देने की सिफारिश की गई है। हम इसी सोच को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं।
प्रधान ने कहा कि जापान आज उत्पादन का बड़ा केंद्र है। वहां लोगों को अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाती है। इस मौके पर नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार करने के लिए गठित राष्ट्रीय संचालन समिति के अध्यक्ष डा के कस्तूरीरंगन, स्कूली शिक्षा सचिव अनीता करवाल आदि मौजूद थीं। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में किया गया। इससे देशभर के विशेषज्ञों को वर्चुअल जोड़ा गया था।
स्कूली पाठ्यक्रम तैयार करने की मुहिम में सबसे ज्यादा फोकस पांच से आठ साल के बच्चों को लेकर किया गया है। उनका पाठ्यक्रम कुछ इस तरह से डिजाइन करने पर जोर है, ताकि उनका तेजी से बौद्धिक विकास हो सके। वैसे एनईपी में बच्चों को तीन साल की उम्र से ही स्कूली शिक्षा से जोड़ने का रोडमैप तैयार किया गया है। शुरुआत के तीन साल प्ले स्कूल स्तर के होंगे। स्कूली शिक्षा का पहला स्तर फाउंडेशनल श्रेणी का होगा, जो पांच साल का है।
इनमें तीन साल प्ले स्कूल और पहली व दूसरी कक्षा शामिल होगी। इसका पाठ्यक्रम बाकी पाठ्यक्रमों से अलग होगा। इसमें इनोवेशन, खोजपरक सामग्री आदि शामिल होगी। फ्रेमवर्क को अंतिम रूप देने में जुटी टीम का कहना है कि वह चाहती है कि बच्चों को प्ले स्कूल में आने से पहले घर से ही बेसिक शिक्षा दी जाए। इसका जिम्मा माता-पिता पर होगा। यानी प्ले स्कूल में दाखिले के दौरान बच्चों को कुछ जरूरी चीजों की जानकारी जरूरी होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button