राष्ट्रीय

रेलवे ने क्षतिग्रस्त बोगियों की मरम्मत पर खर्च किए 150 करोड़ रुपये

नई दिल्ली। रेलवे ने बिजली संयंत्रों तक कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए पिछले चार महीनों में करीब 2 हजार क्षतिग्रस्त और जीर्ण-शीर्ण बोगियों को ठीक कराने पर 150 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में ऐसी क्षतिग्रस्त बोगियों की संख्या लगभग 9,982 थी। इनकी संख्या दो मई तक घटकर 7,803 रह गई।
रेलवे ने देश में कोयले की मांग चरम पर पहुंचने के बीच 2,179 बोगियों की मरम्मत का काम किया। अधिकारियों ने कहा कि प्रत्येक बोगी की मरम्मत के लिए रेलवे को लगभग पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक खर्च करना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि बोगियों का नुकसान मंत्रालय के लिए चिंता का विषय बन गया है। बिजली संयंत्रों द्वारा कोयला उतारने का काम लेने वाले निजी ठेकेदारों ने ‘मैन्युअल’ की जगह जेसीबी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। एक अधिकारी ने कहा, जेसीबी बोगियों के अंदरूनी हिस्से से टकराती हैं और उन्हें गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती हैं। पहले माल उतारने का काम मैन्युअल रूप से किया जाता था। अब यह जेसीबी के माध्यम से किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त बोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। हम तेज गति से इनकी मरम्मत कर रहे हैं और कोयला आपूर्ति के लिए संसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि मरम्मत तीन प्रकार की होती है-प्रमुख, मामूली और स्थानीय। अनुमान है कि 2,179 बोगियों की मरम्मत के लिए रेलवे को 150 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाना पड़ा है।

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