बच्चों में विकास बाधित होने के मामले घटे, लेकिन लोगों में मोटापा बढ़ा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पांचवे चरण के मुताबिक, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में विकास अवरुद्ध होने (स्टंटिंग) के मामलों में मामूली कमी आई है जो 38 फीसदी से घटकर 36 फीसदी हो गए हैं। जबकि ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मोटापा बढ़ा है।
एनएफएचएस-5 (2019-21) रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-21 में शहरी क्षेत्रों के बच्चों (30 फीसदी) के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों (37 फीसदी) में स्टंटिंग अधिक है। पुडुचेरी (20 फीसदी) में यह सबसे कम और मेघालय (47 फीसदी) में सबसे अधिक है। हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और सिक्किम (सभी में सात-सात अंक), झारखंड, मध्य प्रदेश और मणिपुर (सभी में छह-छह अंक) और चंडीगढ़ व बिहार (पांच-पांच अंक) में स्टंटिंग में उल्लेखनीय कमी देखी गई।
एनएफएचएस-4 (2015-16) के मुकाबले एनएफएचएस-5 में ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मोटापा बढ़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में मोटापा 21 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी और पुरुषों में 19 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी हो गया है। केरल, अंडमान- निकोबार, आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में एक तिहाई से अधिक महिलाएं (34 से 46 फीसदी) मोटी हैं या वजन ज्यादा है।
यह सर्वेक्षण 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों के करीब 6.37 लाख घरों में किया गया। इस रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने गुजरात के केवडिया में आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर में जारी किया। तीन दिवसीय इस शिविर का मांडविया ने ही गुरुवार को उद्घाटन किया।