श्रीलंका के बिगड़ते हालात पर भारत की पैनी नजर
सरकार को चिंता कि कहीं चीन न उठा ले हालात का फायदा
नई दिल्ली। पड़ोसी देश श्रीलंका में बढ़ते जनाक्रोश की वजह से वहां के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और खाने-पीने की चीजों की बढ़ती किल्लत से आम जनता सड़कों पर है और लगातार सरकारी एजेंसियों व प्रतिनिधियों पर हमले हो रहे हैं। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद घरेलू राजनीतिक माहौल भी काफी अस्थिर हो गया है। इस पूरे हालात पर भारत करीबी नजर रखे हुए है।
भारत की चिंता सिर्फ वहां के बिगड़ते हालात और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर नहीं है, बल्कि इस तरह की स्थिति का चीन की तरफ से फायदा उठाने की कोशिश न हो, इसको लेकर भी सतर्क रहना है। श्रीलंका की माली हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी या विदेशी कर्जदाता को ब्याज चुकाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में इस बात की आशंका बलवती है कि चीन अपने भारी भरकम कर्ज की अदायगी के लिए वहां की एजेंसियों पर मनमाफिक दबाव बना सकता है। भारत की एक अन्य चिंता यह भी है कि पड़ोसी देश में राजनीतिक अस्थिरता होने से उसे मदद पहुंचाने की कोशिश को भी धक्का लगेगा।
भारत पिछले दो महीनों में सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने से लेकर दवाइयां, अनाज और पेट्रोलियम उत्पादों की कई खेप श्रीलंका भेज चुका है। जनवरी, 2022 के बाद से अभी तक भारत तीन अरब डालर का पैकेज दे चुका है। इसके अलावा वहां की सरकार के साथ अतिरिक्त मदद देने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे से इस कोशिश को अंजाम देने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है