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कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर जूनियर इंजीनियर बनेगा असिस्टेंट इंजीनियर

बेंगलुरु। दूरस्थ शिक्षा से हासिल बीटेक की डिग्री के अमान्य होने के कारण अपनी नौकरी गंवा चुका एक सहायक अभियंता (असिस्टेंट इंजीनियर) अब कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले के कारण कनिष्ठ अभियंता (जूनियर इंजीनियर) बन जाएगा। अभियंता देवराज केआर ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी कर रखा था और चूंकि उसने कर्नाटक सरकार की एक एजेंसी में पांच साल सेवाएं दी थीं, इसलिए हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि उसे एक ऐसे पद पर दोबारा नियुक्त करने पर विचार किया जाना चाहिए, जो बीटेक की डिग्री के बजाय डिप्लोमा के अनुरूप हो।
देवराज ने कर्नाटक शहरी जल आपूर्ति एवं ड्रेनेज बोर्ड में सहायक अभियंता (सिविल) के एक बैकलाग पद के लिए आवेदन किया था। जुलाई 2016 में सीधी भर्ती के तहत उसकी नियुक्ति की गई थी। हालांकि, सितंबर 2019 में केयूडब्ल्यूएसडीबी के प्रबंध निदेशक ने देवराज को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, क्योंकि कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय (केएसओयू) से प्राप्त उसकी बैचलर आफ टेक्नोलाजी (बीटेक) की डिग्री अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) द्वारा अनुमोदित नहीं है। कारण बताओ नोटिस के जवाब में देवराज द्वारा दी गई दलीलें खारिज कर दी गई थीं और 13 जुलाई, 2021 को जारी एक आदेश में उसे सहायक अभियंता के पद के लिए अयोग्य करार दिया गया।
देवराज ने खुद को नौकरी से निकाले जाने के फैसले के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कराई। उसने तर्क दिया कि हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2012-13 तक जारी केएसओयू के प्रमाणपत्रों को अमान्य घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में कर्नाटक सरकार ने फैसला किया था कि केएसओयू के प्रमाणपत्र पूरे राज्य में वैध होंगे।
देवराज के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के पास दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हासिल बीटेक की डिग्री के अलावा सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी है और चूंकि, देवराज पहले ही पांच साल सेवा दे चुके हैं, ऐसे में उन्हें नौकरी जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। जस्टिस आर देवदास ने अपने फैसले में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के आधार पर देवराज को कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि नियुक्ति देवराज की मूल नियुक्ति की तिथि से प्रारंभ मानी जाएगी।

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