गोवा के बाद अब गुजरात की बारी! कांग्रेस की लगातार हार से टूट रहा पार्टी के नेताओं का सब्र
नई दिल्ली। कांग्रेस देश को जोड़ने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा निकाल रही है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं। पर पार्टी जुड़ने के बजाए कमजोर होती जा रही है। पार्टी ने जब से ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का ऐलान किया है, तब से कई वरिष्ठ नेता और विधायक कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके हैं। पार्टी नेताओं के मुताबिक, लगातार चुनावी हार से नेताओं का सब्र टूट रहा है।
पार्टी लगातार यह भरोसा जता रही है कि यह यात्रा संगठन को पुनर्जीवित करेगी। इसका फायदा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलेगा। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि पार्टी नेता सब्र क्यों खो रहे हैं। पार्टी में नेतृत्व संकट भी बड़ी वजह है। पार्टी छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं ने कहा है कि नेतृत्व को लेकर स्थिति साफ नहीं है। निर्णयों में भी देरी होती है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है। इस महीने के अंत में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पर अभी तक यह तय नहीं है कि पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा। पार्टी के ज्यादातर नेता राहुल गांधी को एक बार फिर अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं, पर राहुल गांधी इस बारे में साफ तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। वहीं, पार्टी के कई नेता नया अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव के बजाए आपसी सहमति से अध्यक्ष के चुनाव पर जोर दे रहे हैं।
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की कांग्रेस छोड़ने की एक बड़ी वजह भविष्य को लेकर कोई उम्मीद न होना भी है। पार्टी छोड़ने वाले एक नेता ने कहा कि वह भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पार्टी की स्थिति को देखते हुए उन्हें जल्द कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इसके साथ पार्टी के अंदर अपनी समस्याओं को नेतृत्व तक पहुंचाने का तंत्र भी पूरी तरह खत्म हो चुका है। पहले नेता और कार्यकर्ता पार्टी अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव के जरिए पार्टी नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचा सकते थे। वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के बाद यह तंत्र खत्म हो गया है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस का कहना है कि वर्ष 2014 के बाद लगातार चुनावी हार से ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं का धैर्य जवाब देने लगा है। इसलिए वह सत्तारुढ़ पार्टी में शामिल हो रहे हैं। क्योंकि, संघर्ष की राह कठिन है। गोवा में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे। संघर्ष लंबा है। ऐसे में इन विधायकों ने संघर्ष के बजाए सत्ता का विकल्प चुना है। दरअसल,एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ वर्षों में कांग्रेस के 170 से अधिक विधायक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हुए हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, करीब आधा दर्जन विधायक गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल से मुलाकात की भी कर चुके हैं। उनके मुताबिक, भाजपा सही वक्त का इंतजार कर रही है। यह विधायक कभी भी कांग्रेस का हाथ छोड़ सकते हैं। पार्टी भी अब इन विधायकों पर भरोसा नहीं कर रही है।