पंद्रह दिनों के लिए बढ़ी गेहूं की सरकारी खरीद
निर्यात पर प्रतिबंध लगने से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने में मिलेगी मदद
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद को 31 मई तक बढ़ा दिया है। इससे उन राज्यों के किसानों को फायदा होगा, जहां 15 मई या उससे पहले गेहूं की खरीद बंद हो गई थी। इसके साथ ही सरकार ने गेहूं की खरीद में सूखे या टूटे दाने की मात्रा को छह फीसद से बढ़ाकर 18 फीसद कर दिया है। दरअसल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 15 मई तक होती है। जबकि राजस्थान में 10 मई को यह बंद हो जाता था। इसके बाद किसानों के लिए सिर्फ बाजार में गेहूं बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता था। अच्छी कीमत मिलने के कारण इस साल किसानों ने एफसीआइ के बजाय निजी कंपनियों को बेचना पसंद किया। बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद में बहुत सारे किसानों ने अपने पास बचाए रखा था। लेकिन शुक्रवार को गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध के लगने के बाद खुले बाजार में गेहूं की कीमत में तेज गिरावट देखी गई और माना जा रहा है कि यह सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे भी चला जाएगा। ऐसे स्थिति में किसानों को होने वाले घाटे से बचाने के लिए सरकार ने खरीद की समय सीमा को 31 मई तक बढ़ाने का फैसला किया है।
वहीं, सरकार के इस फैसले से एफसीआइ को अपना स्टाक बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। पिछले साल सीजन में एफसीआइ ने 36,208 करोड़ की लागत से 16.83 लाख किसानों से कुल 367 लाख टन गेहूं खरीदा था। लेकिन इस साल किसानों द्वारा खुले बाजार में बेचने के कारण 14 मई तक केवल 180 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है। दूसरी ओर तेज गर्मी के कारण गेहूं के दाने के पहले ही सूख जाने की वजह से होने वाले नुकसान से भी किसानों को राहत दी गई है। इसके पहले एफसीआइ सिर्फ छह फीसद तक सूखे या टूटे दाने वाले गेहूं ही खरीदती थी, लेकिन इस बार इसे बढ़ा कर 18 फीसद तक कर दिया गया है। यानी 18 फीसद सूखे या टूटे दाने वाले गेहूं एफसीआइ खरीद लेगी। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में गेहूं की सरकारी खरीद पहले से 31 मई तक तय थी। वहीं उत्तराखंड में 30 जून तक सरकारी खरीद होती है।