उत्तराखण्ड

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने चारा नीति के लिए पशुपालकों और किसानों से मांगे सुझाव

उत्तराखड में पशुधन के लिए हरे एवं सूखे चारे की उपलब्ध कराने को उत्तराखड चारा विकास नीति प्रस्तावित
देहरादून। उत्तराखड राज्य में पशुधन के लिए हरे एवं सूखे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखड चारा विकास नीति प्रस्तावित की जा रही है। बुधवार को डेयरी और पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने राजपुर रोड स्थित राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना कार्यालय में प्रेसवार्ता की । पशुपालन मंत्री बहुगुणा ने बताया कि उत्तराखड में पशुधन की गणना 2019 के अनुसार 43ए83ए000 है । पशुधन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुवांशिक सुधार के साथ. साथ पर्याप्त मात्र में पौष्टिक चारे की आवश्यकता है। वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष में हरे चारे में 31प्रतिशत तथा सूखे चारे में 17 प्रतिशत की कमी है। पर्वतीय क्षेत्रों में अक्टूबर से मार्च तक तथा मैदानी क्षेत्रों में मई से जून तथा सितंबर से नवंबर तक चारे की कमी बनी रहती है चारे की कमी पूर्ति मुख्यतः पंजाब और हरियाणा से आने वाले गेहूं के भूसे से की जाती है । भौगोलिक संरचना के कारण प्रदेश आपदा संभावित है जिसके कारण भी चारे की कमी होती है उत्तराखड चारा विकास नीति का उद्देश्य राज्य के पशुपालकों को पशु धन के लिए सुगमता से वर्ष भर में गुणवत्ता युक्त़ पर्याप्त मात्रा में चारे की उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए प्रति पशु उत्पादकता के वृद्धि करना तथा चारा विकास में रोजगार सृजन एवं उद्यमिता का विकास करना है । चारा नीति का क्रियान्वयन के लिए नोडल पशुपालन विभाग होता है । कृषि विभाग कोऑपरेटिव विभाग दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ मंडी परिषद एवं वन विभाग सहायक विभाग होते हैं। बहुगुणा ने बताया कि चारा नीति के लिए पशुपालकों और किसानों से सुझाव भी मांगे गए हैं ।
यह सुझाव 15 दिन में विभाग को देने होंगे उसके बाद उत्तराखड चारा नीति का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। प्रेसवार्ता में सचिव पशुपालनए डॉण्बीवीआरसी पुरूषोत्तमए निदेशक पशुपालन डॉण्प्रेम कुमारए मुख्य अधिशासी अधिकारीए यूएसडीबीए डॉण्बीसी कर्नाटकए अपर निदेशक डॉण्लोकेश कुमार व अन्य विभागीय अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button