उत्तराखण्ड

प्रदेश की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने बताया महिलाओं के लिए वरदान

  • कहा, राज्य महिला आयोग के निवेदन पर सीएम पुष्कर धामी के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में की गई ठोस पैरवी

  • सरकार के 2025 तक प्रदेश की सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के फैसले को भी सराहा

देहरादून। उत्तराखंड राज्य में उत्तराखंड सिविल सेवा परीक्षा में प्रदेश  की महिलाओं को 30 प्रतिशत महिला आरक्षण पर लगी रोक को हटाने के सुप्रीम कोर्ट  की और से  दिए गए आदेश का स्वागत करते हुए महिला आयोग की अध्यक्ष  कुसुम कंडवाल ने मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद ज्ञापित किया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग के निवेदन पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में इस दिशा में ठोस पैरवी की गई थी। जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को यथावत रखने का आदेश सुनाया है। जोकि अत्यंत सराहनीय व उत्तराखंड की महिलाओं के लिए वरदान है, जो कि राज्य की महिलाओं को राज्य में अपनी प्रशासनिक सेवा देने के लिए सहायता का काम करेगा।

वहीं महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल  ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी  की और से निर्देशित ग्राम्य विकास विभाग की लखपति दीदी योजना का भी स्वागत किया। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से एक वर्ष में एक लाख से अधिक की आय अर्जित करने वाली महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सम्मानित किया जाएगा, यह निर्णय भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में संबल प्रदान करेगा। सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में जो कदम बढ़ा रही है, वह उत्तम है। 2025 तक सरकार ने सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का निर्धारित लक्ष्य का निर्णय भी सराहनीय है।

महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा  कि  राज्य की महिलाओं के पर न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं। राज्य महिला आयोग महिलाओं के हितों के लिए सदैव तत्पर है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों का हनन होगा या उनके साथ अहित होगा तो महिला आयोग शान्त नही रहेगा। हर हाल में महिला आयोग महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।

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