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अव्यवहारिक 27% ओबीसी आरक्षण आंदोलन से हुआ था उत्तराखंड का गठन
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10 फीसद क्षैतिज आरक्षण उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी को दिया जाना पूर्ण रूप से संवैधानिक बताया
देहरादून ।उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष व राज्य आंदोलनकारी रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि उत्तराखंड का गठन ही अव्यवहारिक 27% ओबीसी आरक्षण आंदोलन से हुआ था, जिसे हमने बाद में अलग उत्तराखंड राज्य के निर्माण में तब्दील किया था। जुगरान ने कहा कि ऐसा इसलिए की हमारा अलग राज्य होगा तो हम ही तय करेंगे कि आरक्षण किस किस को देना है और कितना कितना। जुगरान ने कहा कि राजभवन ने 10% उत्तराखंड आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण पर यह टिप्पणी की हैं कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है जबकि यह बात सही नहीं है। रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि क्षैतिज आरक्षण राज्य का विषय है और उत्तराखंड राज्य ने चिन्हित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को एक विशेष श्रेणी माना है और उसी के अनुसार वर्ष 2004 में चिन्हित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारीयों को राज्याधीन सेवाओं व लोक सेवा आयोग के दायरे में आने वाले पदों पर क्षैतिज आरक्षण देने का शासनादेश जारी किया था। जुगरान ने कहा कि 10% क्षैतिज आरक्षण उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को दिया जाना पूर्ण रूप से संवैधानिक है और इसी आधार पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों को एक विशेष श्रेणी मानते हुए आजादी के बाद से अभी तक केंद्र और राज्य सरकारें देती आ रही हैं। राजभवन को उत्तराखंड राज्य निर्माण में शहीद आंदोलनकारियों, गोलीकांड में गंभीर रूप से घायल आंदोलनकारियों व जेल गये एवं घायल व सक्रिय आंदोलनकारियों का सम्मान करते हुए यह आरक्षण देने के रास्ते निकालने चाहियें। जुगरान ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को विशेष श्रेणी मानते हुए 10% क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा था इस स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन नहीं होता है। पूर्व में भी लोक सेवा आयोग व राज्याधीन सेवाओं में विज्ञप्ति प्रकाशित होने के बाद ही पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद ही चयन और ज्वाइनिंग दी जाती रही है और आगे भी दी जा सकती है।
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