उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में दिया अहम फैसला, राज्य सरकार को 35 लाख का मुआवजा व इलाज का खर्च वहन करने के आदेश
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वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति संजय मिश्रा की एकल पीठ में हुई मामले की सुनवाई
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एक तरफा प्रेम प्रसंग मेें विफल रहने पर आरोपी ने किया था पीड़िता पर एसिड अटैक
नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एक एसिड अटैक पीड़िता के पक्ष में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए राज्य सरकार को पीड़िता को 35 लाख का मुवावजा देने व उसके इलाज का संपूर्ण खर्च वहन करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई।मामले के अनुसार एसिड अटैक पीड़िता गुलनाज खान नाम की युवती ने हाईकोर्ट में मुवावजा के लिए याचिका दायर की थी। याचिका कर्ता के मुताबिक जब उस पर एसिड अटैक हुआ तब वह कक्षा 12 में एक छात्र थी और बालिग़ भी नहीं हुई थी। उस दौरान एक अज्ञात व्यक्ति जिसका प्रेम प्रसंग उसके द्वारा लगातार ठुकराया गया था और बदले की भावना से एसिड से हमला कर दिया था। इस अटैक में उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा 60 प्रतिशत से भी ज्यादा जल गया था। साथ ही दाहिना कान पूरी तरह बन्द हो गया और दूसरे कान की 50 प्रतिशत सुनने की क्षमता भी चली गई थी। उसके चेहरे, छाती और ऊपरी हिस्से जिसमें हाथ भी शामिल है, पर गंभीर जलन की चोटें आई थी। इस मामले में आरोपी को निचली अदालत ने 2016 में दस साल के कारावास व 20 हजार रुपये की सजा सुनाई थी। साथ ही हाईकोर्ट ने 2019 में पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये की चिकित्सा प्रतिपूर्ति तत्काल देने के आदेश किये थे। लेकिन गुलनाज़ ने इस जघन्य अपराध की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार से कराए जाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 50 लाख की मुआवजा राशि की मांग की, ताकि वह सुरक्षित व इज्जत का जीवन जी सके। इस पर अंतिम सुनवाई के दौरान, सरकार की ओर से यह पक्ष रखा गया कि याची को इसके लिए सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बजाय अलग फोरम पर आवेदन देना चाहिए। सरकार ने यह भी कहा कि एक ऐसे प्रकरण में लाभ देने से सभी लोग ऐसी प्रतिपूर्ति चाहेंगे। इसके जवाब में याची की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने तर्क दिया।इसके जवाब में याची की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने उच्च न्यायालय मेें कहा कि एक एसिड अटैक पीड़िता के मामले में उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा जबकि राजनीतिक मामलों में सरकार करोड़ों रुपये देती है।