उत्तराखण्डदेहरादून

आपदा प्रबन्धन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने दी जानकारी, जोशीमठ भूूधंसाव के 125 प्रभावित परिवारों को दी जा चुकी 187 लाख की धनराशि, अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें आई हैं नजर

  • शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ में 10 स्थानों पर अलाव जलाये

  • राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए हीटर की व्यवस्था भी की गई

देहरादून। सचिव आपदा प्रबन्धन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने शनिवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के बाद राज्य सरकार की ओर से किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी-अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रति परिवार विस्थापन के लिए अग्रिम के रूप 125 परिवारों को 187.50 लाख रूपये की धनराशि वितरित कर दी गयी है।
भारत सरकार के स्तर पर सीबीआरआई ने विस्थापितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट में सहायता दी जा रही है। प्रशासन ने शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ में 10 स्थानों पर अलाव जलाये गये हैं। राहत शिविरों में हीटर की व्यवस्था की गई है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि राहत शिविरों की क्षमता में वृद्धि करते हुए अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 615 कक्ष कमरे है जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष कमरे है जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रूपये की दर से घरेलू राहत सामग्री के लिए अभी तक कुल 73 ( कुल 3-65 लाख रूपये ) प्रभावितों को वितरित की गई है। तीक्ष्ण पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन के लिए 10 प्रभावितों को 13-00 लाख रूपये धनराशि वितरित की गई है। मकान किराये के लिए 10 लोगों ने आवेदन किया है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 148 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 223 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है। प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।

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