देहरादून । भाजपा ने विधानसभा एवं अन्य नियुक्ति प्रकरणों मे कांग्रेस पर गैरजिम्मेदाराना व विरोधाभासी टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह युवाओं को गुमराह कर राजनैतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। पार्टी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कटाक्ष किया कि कांग्रेस नेता बेरोजगारों के मुद्दे पर राजनैतिक बयानबाजी कर युवाओं को गुमराह कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेसी अपनी पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल का अवलोकन करते तो वह वस्तुस्थिति से अवगत होते। कांग्रेस इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति से बाज नही आ रही है। चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस महज झूठ परोस रही है। विधान सभा मे नियुक्रियों को लेकर जो भी कार्यवाही की गयी वह निष्पक्ष रूप से बिना काल खंड देखकर की गयी थी। इसमे पूर्ववर्ती कांग्रेस और वर्तमान भाजपा कार्यकाल शामिल है। स्पष्ट है कि पक्षपात तो किसी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाता है और यहाँ 2016 के बाद की नियुक्ति हो या पहले की,दोनो अविधि में दोनों ही पार्टी की सरकारों के कार्यकाल शामिल है । वर्तमान में हटाये गए विधानसभा के अस्थायी कर्मियों का निर्णय हो व उससे पहले की स्थायी नियुक्तियों में विधिक राय लेने का निर्णय, दोनो ही मामलों में पक्षपात सम्भव नही है। क्योंकि पक्षपात तो तभी सम्भव है जब किसी एक के कार्यकाल में हूई नियुक्तियों को रद्द किया जाए दूसरे कार्यकाल मे हुई नियुक्तियों को अभयदान दिया जाय। चौहान ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता एक तरफ राज्य निर्माण के बाद की सभी विधानसभा नियुक्तियों को रद्द करने की मांग करते हैं, दूसरी और बर्खास्त कर्मचारियों के धरने पर बैठकर उन्हें झूठा समर्थन देकर बरगलाने का काम भी कर रहे हैं । स्थायी कर्मचारियों को हटाने के लिए विधिक राय लेने की बाध्यता से सभी विदित है। लेकिन कांग्रेसी जान बूझकर अनभिज्ञ होने का नाटक कर रहे है। जिन्होंने सरकार में रहते भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को पाला पोसा और कार्यवाही पर चुप्पी साध ली अब उस काल मे पनपे भ्रष्टाचार के आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है तो कांग्रेस पश्चाताप के बजाय ईमानदारी का ढोल पीट रही हैं । सरकार का उद्देश्य निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ युवा बेरोजगारों के साथ न्याय करना है, जबकि काँग्रेसी भ्रष्टाचार की बेल को पनपाकर अब ऐसा आचरण कर रही है, जैसे वह अनभिज्ञ है। हालांकि पूर्व मे तत्कालीन सरकार के मुखिया भ्रष्टाचार पर आँखें बंद करने की बात कर अपने मंसूबो को साफ कर चुके थे, लेकिन अब उपदेशक बन गए है जो कि जनता स्वीकार नही करेगी।
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