उत्तरकाशीउत्तराखण्ड
इंतजार हुआ खत्मः नौ साल बाद अपने मूल स्थान पर वैदिक मंत्रेच्चार के साथ नए मंदिर में विराजमान हुई सिद्धपीठ मां धारी देवी की मूर्ति
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कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत, विनोद कंडारी ने की पूजा अर्चना
करीब 10 बजे मंदिर के दर्शन के लिए खोले गये कपाट
श्रीनगर। वैदिक मंत्रेच्चार के साथ सिद्धपीठ मां धारी देवी की मूर्ति नौ साल बाद अपने मूल स्थान पर शिफ्ट हो गयी है। धारी देवी की मूर्ति को पूरे विधि-विधान के साथ नए मंदिर में शिफ्ट किया गया है। शनिवार को प्रातः काल 3ः30 बजे से मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो गयी थी। जिसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रमेश चंद्र पाण्डेय, सच्चिदानंद पाण्डेय और जगदम्बा प्रसाद पाण्डेय ने लग्न के अनुसार 8ः12 मिनट में मां धारी देवी की मूर्ति सहित भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाएं भी वैदिक मंत्रेच्चार के साथ नए मंदिर में स्थापित किया गया। करीब 10 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शानाथ के लिए खोले गये। इस मौके पर सुबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने मंदिर पर पहुंचकर पुजा आर्चना कर आर्शीवाद लिया। श्रीनगर से 14 किमी दूर कलियासौड़ स्थित मां धारी देवी की मूर्ति आखिरकार नौ साल बाद नए मंदिर में शिफ्ट हो गई है। 16 जून 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया था। पिछले नौ साल से मां धारी की मूर्ति सहित अन्य प्रतिमाएं इसी अस्थायी स्थान में विराजमान थी। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह डूब क्षेत्र में आ रहा था। इसके लिए इसी स्थान पर परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था लेकिन जून 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया। लगभग चार साल पूर्व कंपनी की ओर से इसी के समीप नदी तल से करीब 30 मीटर ऊपर पिलर पर पर्वतीय शैली में आकर्षक मंदिर का निर्माण करा दिया गया। इस मौके पर आचार्य आनन्द प्रकाश नौटियाल, आचार्य वाणी विलास डिमरी, डॉ हरिशंकर डिमरी, डॉ. नवीन पांडे, डॉ- प्रकाश चमोली, आचार्य जितेंद्र डंगवाल, आचार्य धनीराम डिमरी, आचार्य सुशील डिमरी, आचार्य सूरज पाण्डे, शास्त्री रजत पंत, आचार्य प्रमोद पाण्डे आदि मौजूद थे।