उत्तराखण्डदेहरादून

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा, बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए आयोग पूरी तरह प्रतिबद्ध, बच्चों के हितों के लिए लगातार किए जा रहे प्रयास, 1 साल में 110 शिकायतों का किया गया निस्तारण

अपने एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियों और कार्यों को  किया साझा बाल श्रम उन्मूलन अभियान के तहत 111 बच्चों को रेस्क्यू  करते हुए शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया

एस. आलम अंसारी 

देहरादून ।उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने कहा कि पिछले 1 साल में आयोग ने कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया है ।उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण को आयोग पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि उनके 1 साल के कार्यकाल में 280 शिकायतें दर्ज की गई जिनमें से 79 शिकायतों का स्वत संज्ञान लिया गया। इनमें से 110 शिकायतों का निस्तारण किया गया, जिनमें कुछ पुरानी शिकायतें भी थी। सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में अपने 1 साल के कार्यकाल में  उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने इस दौरान किए गए कार्यों और उपलब्धियों को मीडिया के सामने रखा। डॉ गीता खन्ना ने कहा कि आयोग के गठन को एक दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है ।

इस बीच आयोग ने अपने आपको एक सशक्त बाल अधिकारों के पहरेदार के रूप में साबित किया है। उन्होंने कहा कि आयोग अध्यक्ष के नाते मेरा उत्तरदायित्व है कि हर बच्चे को उनके अधिकारों के संरक्षण में अपना सारथी बनाया जाए। डॉ गीता खन्ना ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सभी प्रादेशिक कार्यक्रमों व आयोजित सभी कार्यशाला में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर उत्कृष्ट कार्य किया गया। भारत सरकार ,सुप्रीम कोर्ट और अन्य सभी  शीर्ष द्वारा बुलाए गई बैठको में भागीदारी की गई। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट की जूविनाइल जस्टिस कमेटी में अपना संवाद स्थापित कर उनके अनुरोध पर एक स्टेट स्टेकहोल्डर मीट की गई ।

आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर बैठको में भाग लेने के बाद उन बैठको को मंडलीय स्तर पर आयोजित किया। आने वाले 2 सालों में हमारा मकसद जिला एवं ब्लॉक स्तर के बाद इसे पंचायत स्तर तक ले जाने का है। आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने बताया कि पिछले एक साल में 110 शिकायतों का निस्तारण किया गया है ,जिनमें निजी विद्यालयों की फीस की समस्या, बच्चों के अधिकारों से संबंधित समस्या तथा शिक्षा व बाल अधिकारों में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं पर शिक्षा विभाग के साथ लगातार संवाद स्थापित कर  करने के प्रयास किए गए। प्रदेश के शिक्षा मंत्री से बाल अधिकार संरक्षण आयोग में एक अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने के लिए कार्रवाई चल रही है जिससे आयोग में शिक्षा से संबंधित प्राप्त शिकायतों पर शीघ्र कार्रवाई हो सकेगी। आयोग की ओर से राज्य के सभी जनपदों से प्राप्त शिकायतों के ससमय निस्तारण के लिए सभी विभागों से समन्वय स्थापित करने के लिए समय-समय पर आपसी माध्यम से बैठक आयोजित की गई है।

उन्होंने बताया कि आयोग की ओर से अन्य सभी कामों के साथ राज्य के सभी प्राइवेट स्कूलों में निगरानी रखने के मकसद से एक मॉनिटरिंग कमिटी बनाए जाना प्रस्तावित है। बाल विधानसभा 2022 का गठन किया गया जिसमें राज्य के सभी जिलों से 70 बाल विधायकों का चयन किया गया और उन्हें उत्तराखंड की राजनीति व विधानसभा की कार्यप्रणाली से रूबरू कराया गया। डॉ गीता खन्ना ने कहा कि आयोग की ओर से प्लान इंडिया, शिव नाडर संस्था और बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से प्रदेश में बच्चों के हितों के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि बाल श्रम उन्मूलन अभियान के तहत आयोग के निर्देशों पर जिला टास्क फोर्स द्वारा रेस्क्यू करते हुए 111 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया है।

बाल श्रम कराने वाले कुल 56 लोगों पर शिकंजा कसते हुए एफआईआर की गई है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि आयोग में सचिव और अनु सचिव की तैनाती न होने के कारण कार्यों के संचालन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आयोग को सचिव और अनुसूचिव मिल जाते हैं तो कार्यों के संचालन में और तेजी आएगी।

प्रेस वार्ता में आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण भी मौजूद रहे।

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