उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र: अघोषित बिजली कटौती पर सदन में विपक्ष का हंगामा ,संसदीय कार्य मंत्री डॉ अग्रवाल ने आंकड़ों के साथ दिए सवालों के जवाब
विपक्षी विधायकों ने नियम 58 के तहत मानसून सत्र की कार्रवाई के दौरान शिक्षकों, जंगली जानवरों से खेती को नुकसान और कई अन्य मुद्दे उठाए
एस.आलम अंसारी
देहरादूनःउत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र की तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी विधायकों ने
कई मुद्दों पर सवाल पूछ कर सरकार को घेरने का प्रयास किया । विपक्षी विधायकों ने पुलिसकर्मियों के वेतन भत्ते, गेस्ट टीचर को नियमित करने, अघोषित बिजली कटौती समेत कई मुद्दों को सदन में उठाया, जिस पर सदन में जवाब दिया गया । नियम 58 में कांग्रेस विधायक गोपाल राणा, ममता राकेश, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक आदेश चौहान ने अघोषित बिजली कटौती का मामला उठाया। विपक्षी विधायकों ने कहा सदन की कार्यवाही रोक कर इस विषय पर चर्चा कराई जाए। अघोषित बिजली कटौती के चलते शहर और ग्रामीण दोनों जगहों पर जनता परेशान हैं। छात्र से लेकर किसान बेहाल हैं। बिजली कटौती से ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाएं घट रही हैं। विपक्ष ने सरकार पर अघोषित विद्युत कटौती का आरोप भी लगाया। विपक्ष का कहना था कि ऊर्जा प्रदेश का नारा सार्थक नहीं हो पा रहा है ।भोजनावकाश के बाद सदन की कार्रवाई के दौरान नियम-58 के तहत बिजली कटौती पर चर्चा की गई। इस दौरान सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विधायक गोपाल सिंह राणा ने कहा कि ऊर्जा प्रदेश के हालात बदतर हैं। जरा सी हवा में 6-7 दिन बिजली गुल रहती है। लोहे की तारों से बिजली आपूर्ति की जा रही है। विधायक आदेश चौहान ने कहा कि गर्मी में पानी की कमी में बिजली नहीं, बरसात में सिल्ट और सर्दी में बर्फबारी की वजह से पानी कम होने से बिजली उत्पादन घट जाता है। सुमित ह्रदयेश ने कहा कि 2012 से 2017 कांग्रेस की सरकार में मेरी माता वित्त मंत्री थीं, उन्होंने घोषणा की थी कि हल्द्वानी में कटौती नहीं होगी। लेकिन अब हल्द्वानी में 6 से 7 घंटे बिजली गुल होना मामूली बात हो गई है। ममता राकेश ने कहा कि अघोषित बिजली कटौती की वजह से लोग आज सहारनपुर जाने के बहाने ढूंढते हैं। अधिकारी को फोन करें लेकिन समाधान नहीं होता। अनुपमा रावत. ने कहा कि 8 से 12 घंटे अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। सभी वर्ग परेशान हैं। बिजली कहां जा रही है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। बीजेपी में काम करने की क्षमता, विजन नहीं है। कटौती नहीं हो रही, अघोषित कटौती की जा रही है। राज्य में 30 लाख से ज्यादा उपभोक्ता परेशान हैं।
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में विद्युत कटौती के आंकड़े रखे, लेकिन सरकार के आंकड़ों से विपक्ष संतुष्ट नजर नहीं आया।विपक्ष ने कहा कि सरकार बताए कि कोटद्वार में कितनी कटौती होती है? संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि अगस्त महीने में ग्रामीण क्षेत्र में रोजाना 23 घंटे 2 मिनट बिजली मिली। जबकि शहरी क्षेत्र में 23 घंटे 36 मिनट बिजली मिली।
अग्रवाल ने कहा कि अपरिहार्य स्थिति में ही अघोषित कटौती होती है। नेशनल ग्रिड में उपलब्धता कम होने पर ही कटौती होती है। देहरादून, हरिद्वार, मसूरी व अन्य नौ शहरों में कोई कटौती नहीं की जा रही है। सरकार के प्रयास से 400 मेगावाट अतिरिक्त आपूर्ति को कहा गया है, जिसे केंद्र ने सैद्धान्तिक सहमति दे दी है।