नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मानसून सत्र की कम अवधि पर उठाए सवाल, कहा ,नियमावली के अनुसार साल के तीन सत्रों में कम से कम 60 दिन चले सत्र
बोले, जनता और विपक्ष के सवालों से बचकर भागने की कोशिश कर रही सरकार ,सरकार पर लगाया सदन के नियमों की अनदेखी करने का आरोप
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र की कम अवधि और राज्य आंदोलनकारियों का 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का बिल प्रवर समिति को सौंपे जाने पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सवाल खड़े किये हैं। रविवार को विधानसभा में पत्रकारों से वार्ता करतें हुए आर्य ने कहा कि सरकार जनता और विपक्ष के सवालों से बचकर भागने की कोशिश कर रही है। आर्य ने सरकार पर सदन के नियमों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया।
विधानसभा कार्य संचालन नियमावली के अनुसार साल के तीन सत्रों में कम से कम 60 दिन विधानसभा के सत्र चलाऐ जाने चाहिए, मगर पिछले वर्ष सदन की कार्रवाई केवल 8 दिन चली, इस वर्ष सदन की कार्रवाई 7 दिन चली, इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार की मंशा सदन को चलाने की नही रही। उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए जनता के सवाल और मुद्दे को उठाता रहेगा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मात्र दो दिन चले सदन में विपक्ष ने नियम 310 और 58 के तहत राज्य में अतिक्रमण के नाम पर सरकारी विभागों की और से मचाई जा रही तबाही, आपदा, बेराजगारी, भू-कानून, कानून व्यवस्था, बिजली कटौती, बिजली के दामों में इजाफा, जंगली जानवरों का आतंक, कलस्टर बना कर विद्यालयों को बंद करने के विषय में सरकार को बुरी तरह से घेरा। अफसोस इस बात का है कि उत्तराखण्ड में सरकार विधानसभा की मर्यादा के अनुकूल विपक्ष की और से उठाऐ गये राज्य की जनता के प्रश्नों को उचित और संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है।
आर्य ने बताया कि कांग्रेस के विधायकों ने प्रश्न काल का पूरा सदुपयोग किया। कांग्रेस के विधायकों ने डेंगू, आपदा पीड़ितों के मुआवजे और पुर्नवास, स्मार्ट सिटी देहरादून पर खर्च हुई धनराशि, आवारा पशुओं के लिए गौसदन बनाने, बेमौसमी बारिश के कारण किसानों के नुकसान, गुड़ उत्पादकों को कुटीर उद्योगों में शामिल करने रवि और खरीफ की फसलों, गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को प्रधानमंत्री आवास दिलाने, गन्ना मूल्य का भुगतान संबंधित प्रश्नों में सरकार को बुरी तरह से घेरा। सरकार के पास विपक्ष के विधायकों के प्रश्नों के जबाब नहीं थे।कहा , उपनल, तदर्थ, संविदा व अंशकालिक कर्मचारियों को स्थाई करे राज्य सरकार
देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार का बिजनेस न होने का बहाना हास्यास्पद तर्क है। राज्य में अभी सैकड़ों कानून उत्तर प्रदेश के चल रहे हैं। हर दिन हम देखते हैं कि राज्य को सुचारु रुप से चलाने के लिए नए कानूनों की आवश्यकता है। फिर भी सरकार विधेयक नहीं लाती है। यही विधायी कार्य तो हाउस का बिजनेस होता है। आर्य ने कहा कि सरकार विधानसभा में महत्वपूर्ण विषयों पर विधेयक नहीं ला रही है। सरकार की इस कमी को कांग्रेस विधायक दल पूरा कर रहा है। कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राज्य की सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का असरकारी बिल लगातार तीसरी बार लाई। यह कार्य सरकार को पहले ही करना चाहिए था, इस बार सरकार को भी आखिर शर्म आ ही गई। सरकार अनुपमा रावत के बिल को ही सरकारी बिल के रुप मे लाई। विधायक मनोज तिवारी ने भी राज्य में उपनल, तदर्थ, संविदा अंशकालिक आदि अस्थाई सेवाओं को कर रहे हजारों युवाओं की सेवाओं के विनियमितीकरण यानी स्थाई करने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड आउटसोर्स कर्मचारी विधेयक 2023 विधानसभा में पेश किया और सम्पूर्ण विषय को विधानसभा के माध्यम से राज्य के सामने
रखा। राजस्थान, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब राज्य अपने अस्थाई कर्मचारियों की सेवाओं को स्थाई करने के लिए कानून लाए हैं तो उत्तराखण्ड सरकार यह कानून क्यों नहीं लाई।
जोशीमठ पुनर्वास को कोई बजट अब तक नही हुआ रिलीज
देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार उपनल कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने जा रही है। सरकार भू-कानून पर चुप्पी साधे हुए है। प्रदेश में अफसरशाही पूरी तरह से बेलगाम है। प्रदेश में दिन और रात नदियां खोदी जा रही हैं। भू माफियाओं का राज चल रहा है। आर्य ने कानून व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए। आर्य ने रेरा कानून का भी मसला उठाया। उन्होंने कहा रेरा की वजह से हल्द्वानी में हजारों लोगें को मार झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के पुनर्वास के लिए कोई बजट अब तक रिलीज नहीं किया गया है, जबकि पुनर्वास के लिए सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए की बात की थी।