सीएम पुष्कर धामी ने कहा, जमरानी बांध से सिंचाई, पेयजल व बिजली का होगा लाभ, नैनीताल के काठगोदाम में गोला नदी पर बनेगा बांध, परियोजना से 1.5 लाख हे.भूमि को मिलेगा सिंचाई का फायदा, कहा, 1975 से लटका था Project का मामला
उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश को भी होगा परियोजना का सीधा लाभ
सीएम ने एक बार फिर से पीएम मोदी का जताया आभार
प्रधानमंत्री से पिथौरागढ़ दौरे पर सीएम ने किया था अनुरोध
एस.आलम अंसारी
देहरादून।जमरानी बांध परियोजना के निर्माण से हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्र में पेयजल एवं सिंचाई की समस्या का हल होगा तथा विद्युत उत्पादन भी होगा। इस परियोजना का सीधा लाभ राज्य की जनता को होगा, साथ ही सीमा क्षेत्र के उत्तर प्रदेश के हिस्से को भी होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की कमेटी ने अपनी मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण योजना को मंजूरी प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड की जनता की ओर से आभार व्यक्त किया। सीएम धामी ने कहा कि जनपद नैनीताल में काठगोदाम से 10 किमी अपस्ट्रीम में गौला नदी पर जमरानी बांध (150.60 मी0 ऊंचाई) का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना से लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र सिंचाई सुविधा से लाभान्वित होगा, साथ ही हल्द्वानी शहर को वार्षिक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराए जाने तथा 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का प्रावधान है। वर्ष 1975 से वित्त पोषण के अभाव में परियोजना का निर्माण प्रारम्भ नहीं हो सका था। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के पिथौरागढ़ दौर में भी उनसे इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था।
इस अवसर पर विधायक सुरेश चौहान, सरिता आर्य, अध्यक्ष कृषि उत्पादन एवं विपणन बोर्ड (मंडी) अनिल डब्बू, सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।
लखवाड़ प्रोजेक्ट को सभी राज्यों की मंजूरी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लखवाड़ प्रोजेक्ट को भी उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा को पानी का लाभ मिलेगा। सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसकी अंतिम मंजूरी दे चुके हैं। लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनेगा। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसके साथ ही इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध होगा। प्रोजेक्ट के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को किये गये समझौते के अनुरूप होगा। इस प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली पर सिर्फ उत्तराखंड का हक होगा।
कहा ,निवेश के लिए 65 हजार करोड़ के एमओयू
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि स्वरोजगार के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि के लिए उत्तराखंड में ’’ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’’ का आयोजन किया जा रहा है। देश और विदेशों हुए रोड शो में अब तक 65 हजार करोड़ के एमओयू साइन भी किए जा चुके हैं। लंदन, बर्मिंघम, दुबई, अबु धाबी में इंटरनेशनल रोड शो किए हैं। इसके अलावा दिल्ली, चेन्नई रोड शो आयोजित किए जा चुके हैं।
जमरानी परियोजना में 90-10 के अनुपात में होगा खर्च
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम ) के अंतर्गत जमरानी बांध परियोजना के वित्तपोषण के लिए निवेश स्वीकृति एवं जल शक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। भारत सरकार द्वारा रू. 1730.20 करोड़ की स्वीकृति पीएमकेएसवाई में 90 प्रतिशत ( केन्द्रांश), उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का संयुक्त रूप से 05-05 प्रतिशत ( राज्यांश) के अन्तर्गत प्रदान किया जाना प्रस्तावित है। जमरानी बांध परियोजना से प्रभावित 351.55 हेक्टेयर वन भूमि सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने के लिए वन भूमि (स्टेज-2 ) अंतिम स्वीकृति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा माह जनवरी 2023 में प्रदान कर दी गयी है। इससे प्रस्तावित बांध निर्माण की राह और आसान होगी तथा परियोजना प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए पराग फार्म की प्रस्तावित 300.5 एकड़ भूमि का प्रस्ताव 18 मई 2023 को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट में पारित किया जा चुका है। प्रस्तावित भूमि को शीघ्र ही सिंचाई विभाग को हस्तांतरित किये जाने के लिए भी प्रक्रिया चल रही है।