उत्तरकाशीउत्तराखण्ड

पहले श्रमिक को निकालते समय थमी रहीं सभी की सांसे , बाहर आने पर खुशी से भर गया पूरा माहौल, एनडीआरएफ के जवानों ने  एस्केप पाइप के जरिए टनल में घुसकर ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण कार्य को दिया अंजाम

टनल से निकाले गये सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य फिलहाल ठीक, कुछ दिन चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाएगा
उत्तरकाशी।आखिरकार 17 दिनों की दिन रात की मेहनत के बाद  मजदूरों को बाहर निकाला गया, सभी को एक-एक कर एंबुलेंस के जरिए चिन्यालीसौड़ सीएचसी में ले जाया गया, जहां पहले से ही सभी सुविधाएं चाक-चौबंद कर ली गई थी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती के साथ ही मेडिकल से जुड़ी सभी सुविधा उपलब्ध करा दी गई थी। देर शाम को जब श्रमिकों को निकालना शुरू किया गया तो पहले श्रमिक को निकालते समय सभी की सांसे थमी रहीं, लेकिन जैसे ही श्रमिक बाहर आया तो खुशी से पूरा  माहौल भर गया।
मजदूरों को टनल से बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ के जवान एस्केप पाइप के जरिए टनल में घुसे और फिर मजदूरों को एक-एक करके बाहर निकाला गया। अच्छी बात यह रही की सभी मजदूरों की हालत फिलहाल ठीक है। उनको कुछ दिन निगरानी में रखने के बाद अगला फैसला लिया जाएगा।
टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन को लगाया गया था। ऑगर मशीन ने अपना काम तो किया, लेकिन उसमें काफी लंबा वक्त भी लग गया। जब मशीन ने हाथ खड़े कर दिए तो सेना की इंजीनियरिंग विंग के रेट माइनर्स को बुलाया गया। रैट माइनर्स ने आखिरी कुछ मीटर की दूरी को बहुत कम समय में अपने हाथों से खोदकर पाइप को आर-पार करा दिया।मजदूरों की बाहर निकालते ही उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। उनके लिए काले चश्मों की व्यवस्था भी की गई। कई दिनों टपल में बंद रहने के कारण उनको बाहर सन लाइन में आते ही देखते में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसको देखते हुए सभी तरह के इंतजाम किए गए।
इस रेस्क्यू अभियान में SDRF, NDRF, NHIDCL, THDC, BRO, ONGC, RVNL और विदेशी एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स समेत वैज्ञानिकों को भी तैनात किया गया था। साथ ही PMO से लेकर उत्तराखंड सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों की भी तैनाती की गई थी।

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