लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर दिखा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का जलवा, बेहतर तरीके से किया चुनाव का संचालन, पार्टी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने में नहीं छोड़ी कोई कसर
2022 के विधानसभा चुनाव में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भाजपा को प्रचंड बहुमत के साथ करा चुके हैं सत्ता में वापसी, प्रदेश की पांचो लोकसभा सीटों पर लगातार तीसरी बार कमल खिले तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी,
सभी को रहेगा 4 जून का इंतजार, जब ईवीएम से बाहर निकलेगा परिणाम
एस.आलम अंसारी
देहरादून। उत्तराखण्ड में राजनीतिक परिदृश्य इसकी स्थापना के साथ ही कुछ ऐसा रहा है कि यहां की जनता हमेशा ही अलग-अलग अंतराल में सत्ता की बागडोर कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को सौंपती रही । मगर इस परंपरा को भी अब उत्तराखंड की जनता ने बदल दिया और उसने अपना विश्वास भाजपा पर ही बरकरार रखा । इस विश्वास की रचना करने वाले और कोई नहीं बल्कि खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही हैं, जिन्होंने जनता को किए गए अपने वादों को पूरा करते हुए इसे हासिल किया है। 2017 के बाद भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सत्ता अपने पास बरकरार रखी। विपरीत परिस्थितियों होने के बावजूद उत्तराखंड में एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी और हाई कमान ने मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार फिर धामी पर अपना विश्वास जताया। 4 जून को लोकसभा की पांचो सीटों पर कमल खिले तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इससे पहले भी 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी देवभूमि की जनता ने भाजपा को पांचो सीटें देने का काम किया है ।
19 अप्रैल को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री धामी का जलवा राज्य की पांचों सीटों पर देखने को मिला। मतदान के दिन एक ओर जहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं में जोश फीका नजर आ रहा था, वहीं दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश की कोई कमी नजर नहीं आई। अपने कार्यकर्ताओं में इस जोश को भरने का काम भी मुख्यमंत्री धामी ने ही किया और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी कड़ी मेहनत रंग लाएगी और भारतीय जनता पार्टी इस बार भी लगातार तीसरी बार उत्तराखण्ड की पांचों की सीटों पर विजय पताका फहराएगी। चुनाव से पूर्व प्रचार के दौरान जो दृश्य सामने आ रहे थे वह भी इस ओर ही इशारा कर रहे थे। उत्तराखण्ड की वादियों में यह साफ नजर आ रहा था कि भले ही विपक्षी राजनीतिक दलों के पास बड़े राजनेताओं की एक बड़ी सूची क्यों न हो, लेकिन उन सब पर अकेले धामी ही भारी पड़ेंगे। भाजपा को उत्तराखण्ड की पांचों सीटें जीताने के लिए धामी ने दिन रात एक कर रखा था और राज्य का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं था, जहां जाकर उन्होंने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान के लिए प्रचार न किया हो। मुख्यमंत्री धामी की इस कड़ी मेहनत को देखकर विपक्षी दलों के हतोत्साहित चेहरे भी यह बयान कर रहे थे कि उन्होंने कहीं ना कहीं घुटने टेक दिए हैं। धामी ने जिस रचानात्मक तरीके से इस पूरे चुनाव का संचालन किया और जनता को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए जागरूक किया , उसको देखकर पार्टी हाईकमान भी संतुष्ट नजर आ रहा है। मतदान के बाद अब सभी को 4 जून का इंतजार है जब ईसीएम से बाहर परिणाम सामने आएंगे।
ईवीएम कैद हो चुकी मतदाताओं के मन की बात
देहरादून। पहले चरण में उत्तराखंड की पांचो सीटों पर मतदाताओं के मन की बात ईवीएम कैद हो गई। अब चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है । लोग इस बात को लेकर गुणाभाग में जुट गए कि किस सीट से कौन सा प्रत्याशी विजयी होगा। इन चुनावी चर्चाओं मे से एक बात यह भी निकलकर सामने आ रही है कि जिस व्यक्ति ने अपने राजनीतिक दल को तब जीत का स्वाद चखा दिया था, जब राज्य में लहर उनके राजनीतिक दल के विपरीत थी। वर्ष 2022 में उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव से 6-8 महीने पूर्व उत्तराखण्ड की राजनीति में जो कुछ हुआ था, उसको देखकर यह आभास होने लगा था कि आने वाले विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी दल भाजपा का फिर से सत्ता में आना लगभग नामुमकिन है। ऐसी विषम परिस्थितियों में जब भाजपा हाईकमान ने सत्ता की कमान युवा धामी को सौंपी थी, तब शायद ही किसी ने यह कल्पना की होगी कि वर्ष 2022 में भाजपा एक बार फिर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाएगी। इस लगभग नामुमकिन लगने वाले कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने का पूरा श्रेय राज्य के मुखिया पुष्कर धामी को ही गया। अब एक बार फिर’ लोकसभा चुनाव के बाद चर्चा इस बात को लेकर भी है कि जब धामी विधानसभा चुनाव में समूचे उत्तराखण्ड की राजनीतिक फ़िज़ा को अकेले बदल सकते हैं , तब वह लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें जीता दें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।