उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष, डॉ. गीता खन्ना ने प्रदेश में नवजात शिशु देखभाल निक्कू, सीएनसीयू और टीकाकरण की वर्तमान स्थिति पर जताई गहरी चिंता
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता बताई ,
कहा,निक्कू, सीएनसीयू जैसी इकाइयों की कमी और उनकी कमज़ोर कार्यशैली एक अत्यंत चिंता का विषय
देहरादून : उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष, डॉ. गीता खन्ना ने हाल ही में संपन्न हुए उत्तराखंड नेओकोन कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए राज्य में नवजात शिशु देखभाल (निक्कू, सीएनसीयू) और बच्चों के टीकाकरण की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की।
डॉ. खन्ना ने कहा कि उत्तराखंड में भारत सरकार की और से निर्धारित नीति के अनुरूप सभी जिलों में सीएनसीयू की स्थापना नहीं हो पाई है, और जहाँ यह इकाइयाँ मौजूद हैं, वहाँ भी इनकी कार्यशैली और निर्धारित मानोको के अनुरोप गंभीर कमियाँ पाई गई हैं। उन्होंने कहा, “नवजात शिशु की देखभाल और समय पर मिलने वाला उपचार उसके स्वास्थ्य और जीवन के भविष्य का निर्धारण करता है। निक्कू, सीएनसीयू जैसी इकाइयों की कमी और उनकी कमज़ोर कार्यशैली एक अत्यंत चिंता का विषय है।”
डॉ. खन्ना ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि बच्चों के टीकाकरण की स्थिति भी राज्य में संतोषजनक नहीं है, विशेषकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानताएँ देखने को मिल रही हैं। जिलों में टीकाकरण के आँकड़े और भी अधिक चिंताजनक हैं। “टीकाकरण जीवनरक्षक उपाय है, और यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हर बच्चा, चाहे वह शहरी क्षेत्र में हो या किसी दुर्गम जिले में, टीकाकरण सेवाओं का लाभ उठाए,” इसके साथ ही, उन्होंने दून मेडिकल कॉलेज जैसे राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र में मानव स्तन दूध बैंक की अनुपस्थिति को भी एक गंभीर कमी बताया। उन्होंने कहा, “मानव स्तन दूध बैंक का न होना विशेष रूप से उन नवजातों के लिए हानिकारक है जिनकी माताएँ किसी कारणवश दूध नहीं दे पातीं। यह मुद्दा नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और पोषण से सीधे जुड़ा हुआ है।
आयोग ने दो वर्ष पूर्व इसी मुद्दे पर दून मेडिकल कॉलेज के निदेशक के साथ एक बैठक की थी, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों में मानव स्तन दूध बैंक की स्थापना की जानी चाहिए। हालांकि, इस दिशा में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
आयोग की अध्यक्ष, डॉ. खन्ना ने इस बार पुनः बैठक बुलाते हुए राज्य के स्वास्थ्य महानिदेशक, कार्यक्रम प्रबंधक और संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया है कि इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान दिया जाए और ठोस कदम उठाए जाएँ। उन्होंने कहा, “नवजात शिशुओं की देखभाल और टीकाकरण हमारे समाज के भविष्य की बुनियाद है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही राज्य के बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। हम इस दिशा में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
डॉ. गीता खन्ना ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि आयोग नवजात शिशु देखभाल और बच्चों के टीकाकरण की स्थिति में सुधार के लिए उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम करेगा। इसके लिए एक विशेष कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिससे कि राज्य के सभी बच्चों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकें।
आयोग इस दिशा में सतत प्रयासरत रहेगा और सरकार के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाए और उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाएँ।