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उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा,भविष्य के लिए उदाहरण बने राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन समारोह

खेल मंत्री रेखा आर्या ने उच्चाधिकारियों के साथ की उद्घाटन समारोह कार्यक्रम की समीक्षा , कहा – इस समारोह में यह स्पष्ट झलकना चाहिए , प्रदेश की स्थापना के रजत जयंती वर्ष में  हो रहा  यह आयोजन 

देहरादून। उत्तराखंड में  28 जनवरी को होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह को ऐतिहासिक बनाने की पूरी तैयारी की जा रही है । खेल मंत्री रेखा आर्या ने गुरुवार को उच्च अधिकारियों निर्देश दिए हैं कि यह आयोजन ऐसा होना चाहिए जिससे भविष्य के लिए यह एक उदाहरण बन जाए । रजत जयंती खेल परिसर स्थित खेल सचिवालय में आयोजित उच्चाधिकारियों की बैठक में खेल मंत्री रेखा आर्या ने उद्घाटन समारोह के पूरे कार्यक्रम की समीक्षा की।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि इस समारोह में यह स्पष्ट झलकना चाहिए कि प्रदेश की स्थापना के रजत जयंती वर्ष में यह आयोजन हो रहा है। प्रदेश में विकसित की गई खेल सुविधाओं की झलक भी उद्घाटन समारोह में नजर आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय और क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों के सभी इवेंटस प्रदेश में ही करा रहा है यह उपलब्धि भी उदघाटन समारोह में दिखे। खेल मंत्री रेखा आर्या ने बैठक के बाद बताया कि ज्यादातर खेल इवेंट्स के लिए सभी उपकरण पहुंच गए हैं और जो इक्का-दुक्का उपकरण आने बाकी है वह भी 20 जनवरी तक आयोजन स्थलों पर पहुंच जाएंगे । खेल मंत्री ने प्रस्तावित खेल विश्वविद्यालय के शिलान्यास को भी उद्घाटन समारोह में शामिल करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। इस अवसर पर विशेष सचिव अमित सिन्हा, खेल निदेशक प्रशांत आर्य , अपर निदेशक अजय अग्रवाल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय खेलों के रंग में सरोबार होगी 26 जनवरी
इस साल गणतंत्र दिवस का आयोजन 38 वें राष्ट्रीय खेलों के रंग में सराबोर होगा। इस बारे में गुरुवार को खेल मंत्री रेखा आर्य ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। 26 जनवरी के अवसर पर पूरे प्रदेश में निकाली जाने वाली झांकियों में इस साल राष्ट्रीय खेलों के प्रतीक छाए रहेंगे। पत्र में खेल मंत्री ने कहा है कि गणतन्त्र दिवस के अवसर पर इस वर्ष की झांकियों/परेडों एवं प्रभात फेरियों का मुख्य विषय “38वें राष्ट्रीय खेलः उत्तराखण्ड की मेजबानी” रखा जाए। सभी जनपदों की झांकियों में राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर-मौली, मशाल-तेजस्वनी, लोगो एवं राष्ट्रीय खेल गीत को समाहित किया जाय जिससे न केवल खेलों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि राज्य में खेल संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।

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