हाईकोर्ट ने गलत आंकड़े पेश कर कम दी फसल बीमा की रकम पर सरकार से किया जवाब तलब
- नैनीताल निवासी अजीत सिंह की जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
- हाईकोर्ट ने 9 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा
नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा की रकम किसानों को गलत आंकड़े पेश कर कम दिए जाने के मामले पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने सरकार से नौ मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई के लिए नौ मार्च की तिथि नियत की है। नैनीताल निवासी अजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल जिले के 42 हजार 300 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत खरीफ की फसल का 2020 में एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था लेकिन डेटा उपलब्ध कराने वाली मुंबई की कंपनी मुम्बई की ओर से गलत आंकड़े दे दिए गए, जिसकी वजह से जिले के किसानों को फ़सल बीमा का बहुत कम पैसा दिया गया, तमाम किसानों को दिया ही नहीं गया, जब इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से की गई। यह मामला संसद में भी उठा। याचिका में किसानों द्वारा एसबीआई जनरल इंश्योरेंस और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने और किसानों को हुए नुकसान का पैसा दिलाये जाने की मांग की है। अब कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। जिले के धारी, ओखलकांडा, रामगढ़, बेतालघाट, गरमपानी के किसान लंबे समय से फसल बीमा की रकम देने में धांधली का आरोप लगा रहे हैं। अब किसानों को हाईकोर्ट के सख्त रुख से उम्मीद जगी है।
हाईकोर्ट में बोले भरतरी, राजनीतिक कारणों से किया गया मेरा ट्रांसफर
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड के पद से हटाए गए प्रदेश के वरिष्ठतम आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी के स्थान्तरण के मामले पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई शुक्रवार की तिथि नियत की है। आज मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई। अपनी याचिका में आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने कहा है कि वे राज्य के सबसे सीनियर भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं। किंतु सरकार ने 25 नवम्बर 2021 को उनका स्थान्तरण प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था। जिसको उन्होंने संविधान के खिलाफ मानते हुए उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए। लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों की सुनवाई नहीं की। राजीव भरतरी ने कहा कि उनका स्थान्तरण राजनीतिक कारणों से किया गया है जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उल्लेखनीय है कि पीसीसीएफ राजीव भरतरी के स्थान्तरण के पीछे एक मुख्य कारण कार्बेट नेशनल पार्क के भीतर हो रहे अवैध निर्माण व इन निर्माणों की राजीव भरतरी द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करना भी माना जा रहा था। आरोप है कि तब तत्कालीन वन मंत्री एक अधिकारी के समर्थन में राजीव भरतरी को पीसीसीएफ पद व कार्बेट पार्क में हो रहे निर्माण कार्यों की जांच से हटाना चाहते थे।