उत्तराखण्ड

पड़ोसियों, गरीबों-यतीमों के साथ हमदर्दी का पैगाम देता है रमजान

  • एक-दूसरे के हकूक अदा करने में पहल करेः डॉ. एस फारूक
  • तस्मिया कुरआन म्यूजियम में इस्तिकबाल-ए-रमजान कार्यक्रम हुआ आयोजित
    देहरादून। रमजान का मुकद्दस महीना शुरू होने जा रहा है, यह पवित्र महीना खुदा से नजदीकी हासिल करने, अपने गुनाहों से तोबा हासिल करने, अपनी मगफिरत कराने और अपने पड़ोसियों, गरीबों, यतीमों के साथ हमदर्दी करने का संदेश देता है, रमजान की आमद से पहले रमजान की तैयारी करने की जरूरत है। यह बात रविवार को मजलिस दारूल कजा की ओर से तस्मिया कुरआन म्यूजियम टर्नर रोड में आयोजित इस्तिकबाल-ए-रमजान कार्यक्रम में डॉ. एस फारूक ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कही। डॉ. फारूक ने कहा कि हमे एक-दूसरे के हकूक अदा करने की पहल करनी चाहिए। रमजान के शुरूआत में ही जकात-फितरा अदा करने की कोशिश करनी चाहिए, ताके सब खुशहाली के साथ रमजान-ईद मना सके। डॉ. फारुक ने कहा कि रमजान व ईद उल फितर की खुशियों में सबको शामिल करने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होने कहा कि दुनिया के हालात सबके सामने है, शानो-शौकत रहने वाली चीज नहीं है, व एक दिन खत्म हो जाती है, असल चीज अमल है। मौलाना रिसालुद्दीन हक्कानी ने ‘माह-ए-शाबान ओर रमजान का इस्तिकबाल’ विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि रमजान की तैयारी शाबान में ही कर ली जाए। रमजान इबादत का महीना है, बाजार-कारोबार से वक्त निकालकर रोजे-तरावीह का अहतमाम किया जाना चाहिए। मुफ्ति वसी उल्लाह कासमी ने ‘रमजानुल मुबारक और हमारी जिम्मेदारिया’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रमजान में कुरआन अवतरित किया गया, यह महीना सीधा रास्ता दिखाने वाला है। उन्होने रमजान की फजीलत बयान की। मौलाना अब्दुल कादिर ने ‘तरावीह ओर कुरआन-ए-करीम की अजमत’, पर बात करते हुए कहा कि कुरआन अल्लाह की सिफत है। अगर कुरान को पहाड़ों पर नाजिल किया जाता तो कुरान की अजमत की वजह से पहाड रेजा-रेजा हो जाते। कुरआन सीधे रास्ते की रहनुमाई करता है। उम्मत के लिए कुरान फर्ख की बात है। रमजान में हमें कोशिश करनी चाहिए की तरावीह में क़ुरआन-ए-करीम को अदब के साथ पढ़ा जाए, जल्दबाजी करने से परहेज किया जाए। मौलाना हबीबुर्रहमान ने ‘जरूरत से अधिक माईक का उपयोग’ ओर काजी दारूल कजा मुफ्ति सलीम अहमद कासमी ने रोजे दे दौरान सामने आने वाले मसाइल पर विस्तृत प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरूआत कारी अहसान की तिलावत व सय्यद फर्रख की नात से हुई, संचालन मुफ्ति जियाउल हक ने किया। इस मौके पर जिया नहटोरी, कारी वसीम, मौलाना रागिब, मौलाना महताब, कारी गुलजार अहमद आदि मौजूद रहे।

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