उत्तराखण्ड

विकास की मुख्यधारा में आने के लिए समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी की आवश्यकता: श्रुति कौशिक

  • एनएफसीएच और डीआईटी विश्वविद्यालय की संयुक्त पहल
  • सद्भाव और शांति के माध्यम से सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित कार्यक्रम
    देहरादून। एनएफसीएच और डीआईटी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में डीआईटी विश्वविद्यालय में सद्भाव और शांति के माध्यम से सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य समकालीन चुनौतियों के संदर्भ में सद्भाव और शांति की संस्कृति को बढ़ावा देना था। डॉ. वंदना सुहाग, रजिस्ट्रार, डीआईटी विश्वविद्यालय ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और मनोज पंत सचिव, एनएफसीएच, गृह मंत्रालय का परिचय कराया। डॉ सुहाग ने सभा को सम्भोदित करते हुए कहा कि डीआईटी विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के बाद से न केवल अपने छात्रों को सांप्रदायिक बल्कि आसपास के वातावरण में भी विभिन्न उद्यमों और पहलों के माध्यम से समानता के विश्वास को प्रोत्साहित कर रहा है, जो युवाओं को शांतिपूर्ण समुदाय के विकास के लिए जिम्मेदारियों को समझते हैं।
    मनोज पंत ने कहा कि एनएफसीएच धर्मों में पाई जाने वाली समानताओं के आलोक में सामाजिक ढांचे को बदलने और व्यक्तियों में नैतिक मूल्य प्रदान करने की भावना जैसे संवादों के माध्यम से शांति और सद्भाव का संदेश देता है। यह नागरिक समाज के प्रतिनिधियों, विद्वानों, पेशेवरों, शिक्षाविदों, छात्रों और संस्थानों की संयुक्त पहल को प्रोत्साहित करेगा और सद्भाव और शांति के माध्यम से सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य व्यापक सार्वजनिक सन्देश देना है। संकीर्ण धारणा से दूर व्यापक शैक्षणिक, सामाजिक और सामुदायिक संदर्भ से देखना महत्वपूर्ण है। यह एकता, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में विभिन्न समुदायों और विचारधाराओं के प्रभाव पर विचार-विमर्श करने की एक पहल है जो भारत को विश्व गुरु बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी। एन. रविशंकर, आईएएस (सेवानिवृत्त) चांसलर डीआईटी विश्वविद्यालय ने सभी को सामाजिक मूल्यों के उद्देश्य से अवगत कराया। डीआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी. रघुराम ने समाज में सद्भाव और शांति के संस्थानीकरण के हिस्से के रूप में समकालीन चुनौतियों के संदर्भ में शांति के महत्व के बारे में बात की।
    सहेली ट्रस्ट की संस्थापक श्रुति कौशिक ने कहा कि विकास की मुख्यधारा में आने के लिए समाज के विभिन्न वर्गों, स्थानीय समुदायों के छोटे बच्चों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। देश के नागरिकों के बीच विविधता में एकता, शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को महसूस करने की भी सशक्त आवश्यकता है। शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में विभिन्न समुदायों के योगदान को समझने के लिए, डीआईटी विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए आस-पास के गांवों के युवा लड़कों और लड़कियों द्वारा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के लगभग 100 छात्रों, उन्नत भारत अभियान के तहत गोद लिए गए गांवों एवं समाज के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

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