राष्ट्रीय
भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान तैयार
- मिलकर काम करने को इच्छुक है ईरान
- रूस ने भी दिया तेल सप्लाई बढ़ाने का प्रस्ताव
मुंबई। ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने भारत को ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद की पेशकश करते हुए कहा कि उनका देश तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया -रियाल व्यापार फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। चेगेनी ने कहा कि अगर दोनों देश रुपया-रियाल व्यापार फिर से शुरू करते हैं, तो द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डालर तक पहुंच सकता है। ईरान, भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, लेकिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद नई दिल्ली को आयात रोकना पड़ा।
अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों को लगाने के बाद भारत-ईरान के बीच का व्यापार वित्त वर्ष 2019 में 17 अरब डालर से अप्रैल-जनवरी के बीच गिरकर दो अरब ही रह गया। एमवीआइआरडीसी विश्व व्यापार केंद्र द्वारा यहां जारी एक बयान में चेगेनी के हवाले से कहा गया, श्ईरान तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया-रियाल व्यापार शुरू करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।श् उन्होंने आगे कहा, श्रुपया-रियाल व्यापार तंत्र दोनों देशों की कंपनियों को एक-दूसरे के साथ सीधे सौदा करने और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता लागत से बचने में मदद कर सकता है।श्
बता दें कि नई दिल्ली और तेहरान के बीच व्यापार निपटान के लिए एक विनिमय तंत्र था, जिसमें भारतीय तेल आयातक एक स्थानीय ईरानी बैंक को रुपये में भुगतान कर रहे थे और इस धन का उपयोग करते हुए तेहरान, भारत से आयात कर रहा था। राजदूत ने यह भी कहा कि तेहरान भारत में प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए रुकी हुई ईरान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन परियोजना को पुनर्जीवित करने और वैकल्पिक मार्ग खोजने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करने का भी इच्छुक है।
ईरान से पहले रूस ने भी भारत को कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ाने का आफर दिया है। जिसकी वजह से भारतीय कंपनियों ने क्रूड की खरीद भी की। इस हफ्ते की शुरुआत में, देश की सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन आयल ने 30 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल का अनुबंध किया था और दूसरी सबसे बड़ी बीपीसीएल ने रियायती दरों पर 20 लाख बैरल की बुकिंग की थी। इससे पहले मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि रूस भारत को 25 प्रतिशत तक की छूट दे रहा है।
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद कच्चा तेल 93 डालर प्रति बैरल से बढ़कर 140 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। हालांकि बाद में कीमतों में नरमी दिखी और अब क्रूड 100 डालर प्रति बैरल के करीब आ गया है। भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत तेल की खरीद बाहर से करता है। रूस दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, जो वैश्विक आपूर्ति का 14 प्रतिशत पूरा करता है।