राष्ट्रीय

मिट्टी की सेहत का ध्यान तो दूर, जांच केंद्र खोलने में भी पिछड़े उत्तरी राज्य

अत्यधिक दोहन से खराब हुई मिट्टी
नई दिल्ली। बढ़ती आबादी का पेट भरने और आयात निर्भरता घटाने के लिए सीमित क्षेत्रों की हरितक्रांति ने मिट्टी को कहीं का नहीं छोड़ा है। उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की स्वाभाविक उर्वरता छूमंतर हो चुकी है। बीमार मिट्टी के निदान और इलाज की जिन राज्यों को सबसे अधिक जरूरत है, वही राज्य जांच केंद्र खोलने में बहुत पीछे हैं। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपनी माटी का मोल नहीं समझ पा रहे हैं।
ऐसे में सवाल यही है कि बिना जांच और इलाज के मिट्टी की सेहत कैसे सुधरेगी? सभी राज्यों में मिट्टी की उर्वरता के लिए जिम्मेदार तत्वों में असंतुलन की स्थिति है। इसे दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार की पहल पर ज्यादातर राज्यों ने आगे बढ़कर स्वायल हेल्थ (मिट्टी की सेहत) की दिशा में काम किया है। जिन उत्तरी राज्यों की मिट्टी की हालत सबसे खराब है, उन्हीं राज्यों में गंभीर उदासीनता बरती जा रही है।
स्वायल हेल्थ के कृषि वैज्ञानिकों के लिए यह चिंता का विषय है। वर्ष 2014-15 में केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों में किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच कराने और स्वायल हेल्थ कार्ड सौंपने का अभियान शुरू किया था। कृषि मंत्रालय के स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने के अभियान में 13 करोड़ से अधिक किसानों के खेतों की मिट्टी जांचने का दावा किया गया है। लेकिन जांच रिपोर्ट के आधार पर मिट्टी का इलाज करने वाले कृषि वैज्ञानिकों की भारी कमी है।
केंद्र की इस पहल का कुछ राज्यों ने फायदा उठाते हुए ज्यादा से ज्यादा स्वायल टेस्टिंग लैब (मिट्टी की जांच की प्रयोगशाला) स्थापित करने में रुचि दिखाई। इस दौरान कुल 6,511 लैब स्थापित की गईं। इनमें तेलंगाना 2,050 और आंध्र प्रदेश 1,354 लैब खोलने में सफल रहे। इसके विपरीत बीमार मिट्टी वाले राज्य पंजाब में स्वायल हेल्थ कार्ड अभियान के दौरान एक भी स्वायल हेल्थ टेस्ट करने वाली लैब स्थापित नहीं की गई।
खेती और खाद्यान्न उत्पादन में पंजाब को टक्कर देने वाले हरियाणा की हालत भी कमोबेश ऐसी ही है। इस अवधि में हरियाणा में 34 मिनी लैब स्थापित की गईं। जबकि 36 ग्राम स्तरीय लैब हैं, जिनकी टेस्टिंग क्षमता बहुत कम होती है। हरित क्रांति के अभिन्न हिस्से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मात्र दो स्टैटिक लैब स्थापित की गई हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button