उत्तराखण्ड

बोले प्रीतम, यूनिफॉर्म सिविल कोड को सामने लाकर बेरोजगारी ,महंगाई और पलायन जैसे गंभीर मुद्दों से जनता को भटका रही भाजपा

  • कहा ,भाजपा का चाल, चरित्र, चेहरा फिर हुआ उजागर
  • पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को लिया आड़े हाथ
     देहरादून। उत्तराखंड में सरकार बनने के बाद धामी 2.0 सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में  यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कमेटी गठन को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद  कांग्रेस ने सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड के साथ ही अन्य मुद्दों को लेकर निशाना साधा  है । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रदेश में बेरोजगारी, महंगाई और पलायन जैसे गंभीर मुद्दे सामने खड़े हैं, लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया जाता है, इससे भाजपा का चाल चरित्र चेहरा उजागर हो गया है।
    यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर कांग्रेस  के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष  प्रीतम सिंह ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। प्रीतम का कहना है कि भाजपा के संकल्प पत्र में सिविल कोड का कोई जिक्र नहीं है। हम समझते थे कि नई सरकार पहली कैबिनेट बैठक में बढ़ती महंगाई पर अंकुश कैसे लगे, इस पर चिंतन और मनन करेगी। इसके साथ ही बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, विकास के अवरुद्ध कार्यों, लोकायुत्तफ़ पर चर्चा करेगी, लेकिन सरकार ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र पर कोई चर्चा नहीं की।
    उन्होंने कहा  कि सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र करती है, इससे भाजपा का चाल ,चरित्र, चेहरा उजागर हो गया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र भाजपा के संकल्प-पत्र या चुनावी घोषणा-पत्र में कहीं नहीं है। चुनाव में किसी ने मुख्यमंत्री के कान में फूंक दिया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की भी बात करो, तभी जीत हासिल की जा सकती है। इसलिए चुनाव जीतने के बाद इस पहली कैबिनेट की पहली बैठक में ले आए। उन्होंने कहा कि यह वादा तो केंद्र में बैठी सरकार देश के लोगों से हर लोकसभा चुनाव में करती आ रही है, लेकिन अभी तक तो  कोई वादा पूरा नहीं हुआ। वहीं, यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कमेटी गठन की मंजूरी दिए जाने के पर प्रीतम सिंह ने कहा कि क्या कैबिनेट की बैठक इसलिए बुलाई गई थी कि इसमें एक समिति का गठन होना है। इससे अच्छा होता कि मुख्यमंत्री ऐसे ही घोषणा कर देते। भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है। क्योंकि, भाजपा देश के अंदर अपनी सरकार की उपलब्धियों के माध्यम से चुनाव नहीं जीत सकती है और इसलिए हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द को समाप्त करके समाज को तोड़ने का काम करती है।

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