राष्ट्रीय

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दिखा अद्भुत नजारा

लोगों ने आकाश से जलते पिंडों को गिरते देखा
चमकीला पिंड राकेट बूस्टर होने की आशंका
नई दिल्ली।महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में शनिवार की रात आकाश में अद्भुत नजारा देखने को मिला। आकाश में अंधेरे को चीरते हुए एक चमकीला पिंड आगे बढ़ते हुए दिखाई दिया। ऐसा लग रहा था कि उल्का पिंडों की बारिश हो रही हो। यह नजारा महाराष्ट्र के नागपुर, चंद्रपुर, बुलढाड़ा, अकोला और जलगांव जिलों में और मध्य प्रदेश के इंदौर, खरगोन, खंडवा, झाबुआ और बड़वानी जिलों में शाम 7रू30 बजे देखने को मिला। लोगों ने इसे अपने कैमरे में कैद किया और फिर इंटरनेट मीडिया पर डाल दिया। देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया। जलगांव के जिलाधिकारी अभिजीत राउत ने बताया कि औरंगाबाद स्थिति एपीजे अब्दुल कलाम एस्ट्रोस्पेस एंड साइंस सेंटर के विशेषज्ञों के मुताबिक गिरने वाली वस्तुएं इलेक्ट्रान राकेट बूस्टर हो सकती हैं जो पृथ्वी की कक्षा में सेटेलाइट को भेजते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं नियमित हैं। कलाम एस्ट्रोस्पेस एंड साइंस सेंटर के निदेशक श्रीनिवास औंधकर ने कहा कि दुनियभर में शनिवार को सिर्फ एक सेटेलाइट को लांच किया जाना था। राकेट लैब इलेक्ट्रान लांचर ने भारतीय समय के अनुसार शाम 6रू11 बजे अमेरिका स्थित कंपनी ब्लैकस्काई के एक सेटेलाइट को कक्षा में भेजा। चूंकि, यह नजारा पूर्वाेत्तर महाराष्ट्र में आसमान में देखने को मिला है, इसलिए हो सकता है कि गिरने वाली वस्तुएं इसके राकेट बूस्टर हों, जिन्हें लांचर में सेटेलाइट को कक्षा में तेजी के साथ भेजने के लिए लगाया जाता है। पूर्वी महाराष्ट्र के चंद्रापुर जिले के एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने बताया भी कि जिले के लदबोरी गांव में रात 7ः45 बजे एक अल्युमीनियम और स्टील की वस्तु गिरने की जानकारी मिली है। वहीं, इंदौर स्थित चिल्ड्रेन साइंस सेंटर के समन्वयक राजेंद्र सिंह का कहना है कि शनिवार शाम वे उज्जैन से इंदौर की ओर आ रहे थे। बीच में उन्होंने उल्का पिंड जैसे दिखने वाले पिंडों को देखा। खगोलशास्त्रियों से बात करने पर पता लगा कि कसरावद के पास बालसमुंद गांव में उल्का पिंड जैसे पिंड के टुकड़े गिरने की जानकारी सामने आई। उज्जैन के जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डा. राजेंद्र प्रसाद गुप्त ने कहा कि जो दिखा, वह उल्का पिंड ही है। आकाश में उल्का पात होता रहता है। कई बार कोई पिंड बड़ा रहता है तो वह नीचे आता है। अधिकांश तो ऊपर ही जल जाते हैं।

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