भारतीय दृष्टिकोण का समर्थन करती है आइपीसीसी की रिपोर्ट
ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव के साथ 2030 तक आधा किया जा सकता है वैश्विक उत्सर्जन
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने पर संयुक्त राष्ट्र की समिति इंटर गवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट जलवायु कार्रवाई और सतत विकास में सभी स्तरों पर समानता को लेकर भारत के रुख को सही ठहराती है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट विकासशील देशों के लिए सार्वजनिक वित्त की आवश्यकता पर भारत के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन करती है।
यादव ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना विषय पर आइपीसीसी कार्य समूह-3 की सोमवार को दुनिया भर में जारी रिपोर्ट का स्वागत किया और कहा कि रिपोर्ट गहन व तत्काल वैश्विक उत्सर्जन में कमी की आवश्यकता को रेखांकित करती है। उन्होंने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आइपीसीसी रिपोर्ट गहन और तत्काल वैश्विक उत्सर्जन में कमी की आवश्यकता को रेखांकित करती है और जलवायु कार्रवाई और सतत विकास में सभी स्तरों पर समानता पर भारत के जोर देने को सही ठहराती है। हम इसका स्वागत करते हैं।
यादव ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से पहले की अवधि के दौरान संचयी और प्रति व्यक्ति वार्षिक उत्सर्जन दोनों में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में 2020 से पहले के उत्सर्जन में कमी विकासशील देशों की सतत विकास की जरूरतों की तुलना में अपर्याप्त रही है। ऐतिहासिक संचयी उत्सर्जन और प्रति व्यक्ति वार्षिक उत्सर्जन दोनों दर्शाते हैं कि भारत की भूमिका (दक्षिण एशिया के हिस्से के रूप में) न्यूनतम है। आइपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलावों के साथ वैश्विक उत्सर्जन को आधा किया जा सकता है, जिसमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग में पर्याप्त कमी भी शामिल हैं।