अजान प्रकरण के बीच कर्नाटक पुलिस का ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ सर्कुलर, हाईकोर्ट के फैसले का कड़ाई से पालन करने का निर्देश
बेंगलुरु। मस्जिद के लाउडस्पीकरों से तेज आवाज में अजान को लेकर उठे विवाद के बीच कर्नाटक पुलिस ने बुधवार को धार्मिक संस्थानों और अन्य स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए एक आंतरिक सर्कुलर जारी किया। कर्नाटक के महानिदेशक और आइजीपी प्रवीण सूद ने राज्य के सभी पुलिस महानिरीक्षक (आइजी), पुलिस अधीक्षक (एसपी) और पुलिस आयुक्तों को सर्कुलर जारी कर कहा कि ध्वनि प्रदूषण के मामले के संबंध में, आपको कर्नाटक हाई कोर्ट के निर्णय का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया जाता है।
धार्मिक संस्थान, पब और कोई अन्य संस्थान यदि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 का उल्लंघन कर रहा है तो आपको उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। उल्लेखनीय है राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को कहा था कि इस मामले में सरकार बिना किसी पूर्वाग्रह या भेदभाव के काम करेगी। उन्होंने कहा था कि किसी व्यक्ति या संगठन को कानून अपने हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। हम लोग शांति सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे।
अजान के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट पहले से ही आदेश दे चुका है। एक और आदेश यह भी है कि उसके आदेशों को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है। डेसिबल की सीमा निर्धारित है और डेसिबल मापक खरीदने का आदेश भी हमें मिला है। यह काम सभी को विश्वास में लेकर किया जाना है। यह जबरदस्ती नहीं किया जा सकता। जमीनी स्तर पर पुलिस की ओर से विभिन्न समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की जा रही है।
उधर, पुलिस विभाग की ओर से कोर्ट में पेश आंकड़ों के मुताबिक 2021 से 2022 फरवरी के बीच राज्य में ध्वनि प्रदूषण के संबंध में कुल 301 नोटिस जारी किए गए। इनमें 125 मस्जिदों, 83 मंदिरों और 22 को नोटिस जारी किए गए। इसके साथ ही पब, बार, रेस्टोरेंट और 12 अन्य उद्योगों को कुल 59 नोटिस जारी किए गए।
मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग उठने के बीच कर्नाटक के वरिष्ठ मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कहा था कि छात्रों और मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेकर इस मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है।
ईश्वरप्पा ने कहा कि यह कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है कि अजान के खिलाफ हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए। इससे दोनों समुदायों के बीच बेवजह टकराव पैदा होगा। उन्होंने मुस्लिम नेताओं को सलाह दी कि वे देखें कि लाउडस्पीकर का उपयोग पूजा स्थलों तक ही सीमित रहे और उसकी आवाज से आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं हो।
सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2005 के आदेश के अनुसार रात 10 से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है। वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2020 में फैसला दिया कि अजान इस्लाम का एक हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता विराग गुप्ता कहते हैं कि ध्वनि प्रदूषण जीवन के अधिकार से जुड़ा हुआ मामला है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1) ए और अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को बेहतर वातावरण और शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है। यह सर्वोपरि है। किसी भी स्तर पर इसका उल्लंघन हो रहा हो, कानूनन यह गलत है। देश में छिड़ी बहस को तीन सवालों की कसौटियों पर कसना चाहिए। ध्वनि प्रदूषण के माध्यमों का उपयोग करना क्या उनकी पंरपरा है? क्या सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं होना चाहिए? क्या एक गलत का जवाब दूसरे गलत से दिया जाना सही है?